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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/४०

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३० गोल-सभा सिखों के गुरु और अन्य नेता घोड़ों पर सवार थे। सबके बीच में पं० जवाहरलाल नेहरू थे । पृष्ठ पर नामधारी सिखों का घुड़सवार-दल था । उसके पीछे हथौड़ा और हँसिया लिए हुए सिखों का बड़ा भारी जत्था पैदल चल रहा था। स्वागत-मंत्री डॉक्टर गोपीचंद भार्गव, पैदल हो, जुलूस का नियंत्रण कर रहे थे । अनुमान जुलूस में १० लाख मनुष्यों की भीड़ थी। जगह-जगह तोरण बनाकर एवं मंडियों से नगर सजाया गया था, और स्वागत हो रहा था । क्रांतिकारी वाक्यों के मोटो जगह-जगह टाँगे गए थे। पुलीस ने प्रबंध में मदद देनी चाही थी, परंतु कार्यकर्ताओं ने कह दिया कि यदि हम प्रबंध न कर सकेंगे, तो जुलूस हो न निकालेंगे । नगर के तंग और घने रास्तों पर जुलूस को ३ मील का रास्ता तय करना पड़ा था। अनारकली-बाजार में पं० मोतीलाल नेहरू ने अपने योग्य पुत्र पर पुष्प-वर्षा की, और इसके उत्तर में राष्ट्रपति ने उन्हें अभि- वादन किया । लाला लाजपतराय के मकान पर जुलूस समाप्त हुआ। वहाँ लालाजी की धर्मपत्नी के आतिथ्य-रूप उन्होंने चाय पी, और लाजपत-नगर को प्रस्थान किया। मूल-मंत्र--मूल-मंत्र या मोटो, जो नगर और पंडाल में लगाए गए, कुछ इस प्रकार के थे- "हिंदोस्तान के बेताज के बादशाह, हम तेरा स्वागत करते हैं।" "बापू ! स्वागत, भूखा भारत तुम्हारी ओर टकटकी लगाए देख रहा है।"