पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/५८

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४८ गोल-सभा "यह (संघ) भारत को पूर्ण स्वतंत्रता की राष्ट्रीय लगन के प्रति सहानुभूति प्रकट करता है, और बताता है कि संघ कांग्रेस के लाहौर-अधिवेशन को अत्यंत उत्सुकता के साथ देख रहा है।" संघ के डच-विभाग ने भी कांग्रेस-सहानुभूति का संदेश भेजा था, और कहा था कि भारतीयों को पूर्ण स्वतंत्रता के लिये खब कोशिश करनी चाहिए, और साम्राज्य से छुटकारा पाना चाहिए।" ईरान को सोशलिस्ट पार्टी ने कांग्रेस से अनुरोध किया था कि वह अपनी स्वतंत्रता का निर्माण साशलिस्ट आधार पर करे। इनके सिवा हब्शी-अधिकाररक्षिणी सभा, पेरिस, अंतरजातीय राजनीतिक बंदो-समिति, काबुल-जापान-कांग्रेस-कमेटो, ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन, जोंसवर्ग, अमेरिका-कांग्रेस कमेटी, न्यूयार्क की भारतीय राष्ट्र-समिति, केपटाउन के साउथ आफ्रिकन भारतीय संघ, सीलोन की युवक-परिषद्, ब्रिटिश मजदूर- नेताओं, साउथ आफ्रिकन भारतीय समिति, अमेरिका की भार- तीय समिति और ईस्ट आफ्रिकन भारतीय कांग्रेस के सहानु. भूति के संदेश आए थे। श्रीशिवप्रसाद गुप्त ने, जो कांग्रेस को वकिंग-कमेटी के सदस्य थे, जेनेवा से एक संदेश भेजा था, और कांग्रेस से अनुरोध किया था कि वह मदरास और कलकत्ता के प्रस्तावों को द्वयर्थक्य से निकालकर तर्क-पूर्ण परिणामों में परिणत करे। शैलेंद्र घोष ( न्यूयार्क ) और राजा महेंद्रप्रताप के संदेश भी आए थे 1