चौथा अध्याय चुकी है कि महात्मा गांधी देश को अनारकी की तरफ ले जाने से रोके जायेंगे।" साप्ताहिक 'स्पेक्टेटर' ने लिखा था कि केवल एक काम, जो कांग्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता की नीति को संभाव्य बना सकता है, एक स्वतंत्र या कई स्वतंत्र देशों पर शासन करने की एक भार- तीय स्कीम का अस्तित्व होगा ; परंतु ऐसी कोई भी स्कीम नहीं है।" इस पत्र ने आगे ब्रिटिश सरकार को सख्ती, मजबूती और निर्भयता की नीति अख्तियार करने को राय दी थी। साप्ताहिक 'न्यू स्टेट्समैन' ने सरकार को असहयोगियों का बॉयकॉट करने की सम्मति दी थी, और लिखा था-"हम भारत को प्रजा-तंत्र अथवा स्वराज्य नहीं दे सकते । हमें जब- दस्ती उसे उस रास्ते पर ले चलना चाहिए, जिस पर हम चाहें, ओर केवल उन भारतीयों की सुननी चाहिए, जो हमसे सहयोग करने को राजी हों, शेष की कोई परवा न करनी चाहिए । एक सयू से अगर हम राय लें, तो वह हमारी मदद करेगा; परंतु एक नेहरू अपनी वाहियात माँगों की तरफ हमारे बढ़ने का सिर्फ फायदा ही उठावेगा।" साप्ताहिक सैटर्डे रिव्यू' ने ब्रिटेन को आगे बढ़ने की सम्मति दी थी, और भारतीय सहयोग का स्वागत और सहयोग से इन- कारों की उपेक्षा करने को कहा था। 'नेशन' ने यह विचार प्रकट किए थे कि "चूँ कि लार्ड इर्विन की नीति नरम और मिले रहने की है, तो कोई कारण नहीं