पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/६२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५२ गोल-सभा कि उसका राज्य-संबंधी प्रबंध भी शिथिल और कायरता-पूर्ण होगा । उसे पूर्ण विश्वास मिलना चाहिए कि प्रत्येक अवस्था में उसे इंगलैंड से पूरा सहयोग मिलेगा, चाहे वह यथार्थ अशांति को दबावे, अथवा पहले से ही वैसा मौका न आने देने की कोशिश करे।" इस प्रकार महात्माजी की स्वाधीनता की घोषणा बड़ी तेजी से समुद्रों को चीरती और पर्वतों को लांघती हुई संसार के दर- वाजों पर पहुँच गई, और सारा संसार भारत की जवानी और बुढ़ापे के एक ही क्षण के इस निश्चय को क्रियात्मक रूप में देखने को उत्सुक हो गया। संसार पर-खासकर ब्रिटेन पर- इस घटना का कितना बड़ा प्रभाव हुआ, इसका परिचय एक ब्रिटिश-पत्र के यह कहने से मिलता है कि "आज भारत से हमारी सत्ता उठ गई।" BHART भारती