पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/८६

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७६ गोल-सभा कि आप के साथ का संबंध तोड़ डालने की हमारी इस इच्छा का कारण ऊपर गिनाए गए ये अन्याय हो हैं। इनके मिटने ही से रास्ता साफ़ होगा, और फिर सुलह के लिये दर्वाजे खुल जायेंगे। भारत के साथ अँगरेजों के व्यापार में से लोभ का पाप धुल जाय, तो हमारी आज़ादी को कबूल करने में अँगरेजों को कोई कठिनाई न हो। मैं आपसे सादर प्रार्थना करता हूँ इन अन्यायों को स्वीकार करें, इन्हें तत्काल दूर करने का कोई रास्ता निकालें, और इस तरह सारी मानव-जाति के कल्याण के उपायों को ढूंढ़ निकालने की इच्छा से कोई ऐसा तरीका अख्ति- यार करें, जिससे दोनो पक्ष बराबरी के नाते सलाह करने को इकट्ठा हों। ऐसा करने से अपने आप ही दोस्ती बँधेगी, और दोनो देश एक दूसरे की मदद के लिये तैयार रहने तथा दोनो को अनुकूल हो, इस तरह व्यापार करने की नीति ठहरा सकेंगे। बदनसीबी से देश में आज जो क़ौमी झगड़े फैले हुए हैं, उन्हें आपने बिला वजह जरूरत से ज्यादा महत्त्व दिया है। राजनीतिक विधान की किसी भी योजना के बनाने में इन बातों का महत्त्व अवश्य है, लेकिन जो सवाल क़ौमी झगड़ों से परे हैं, और जिनके कारण सब कौमों को समान रूप से हानि उठानी पड़ती है, उन सवालों का इन झगड़ों से कोई सरोकार ही नहीं। अगर आप न सुनेंगे, तो ? लेकिन ऊपर लिखी बुराइयों को दूर करने का कोई इलाज