पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/९६

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गोल-सभा गया था, तैयार नहों, उधर भीतरी विद्वेष उत्पन्न हो गए । दास ने कांग्रेस की शक्ति को बाँट दिया। वह कौंसिल के पक्ष में हुए । और भी कई दल बने । उधर स्वामी श्रद्धानंद ने शुद्धि और संगठन को हाथ में लिया । मुसलमानों ने भी तबलीग़ में हाथ डाल दिया। बाजे का प्रश्न उठा, और पहाड़ हो गया । उधर मौका पाकर सरकार ने फिर एक तहकीकात-कमेटी की घोषणा की । देश इस प्रकार की तहकीकातों से थक उसने बहुत विरोध किया । इस कमेटी में कोई भार- तीय न था, और इसके प्रमुख साइमन साहब थे। उसके बाद गोल-सभा करने की घोषणा की गई। यह साइमन-कमीशन जब भारत पहुंचा, तो सर्वत्र ही उसका प्रबल बहिष्कार हुआ। लाहौर में इसी अवसर पर लाला लाज- पतराय पर लाठियां पड़ी, और अंत में उनका देहावसान हो गया। सरकार का कहना था कि कांग्रेस में भारत की सब जातियाँ सम्मिलित नहीं हैं। तब कांग्रेस ने भी एक कमेटी बनाकर रिपोर्ट तैयार की। पं० मोतीलाल नेहरू इसके प्रमुख थे। इसकी रिपोर्ट जब प्रकाशित हुई, तब देश भर में उसका समर्थन हुआ. और कलकत्ता-कांग्रेस में नेहरू-रिपोर्ट के अनुसार औपनिवेशिक स्वराज्य की मांग पेश की गई । इसके लिये १ वर्ष का समय सरकार को दिया गया । १ वर्ष बीत गया, मगर सर- कार ने कुछ नहीं किया। वह साइमन कमीशन की रिपोर्ट पाने पर कुछ निर्णय करना चाहती थी। फलतः लाहौर-कांग्रेस में