यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
आठवां अध्याय 'पूर्ण स्वाधीनता की घोषणा कर दी गई । यह प्रथम कहा ही जा चुका है। साथ ही प्रचंड शांत युद्ध प्रारंभ हो गया । उसकी गति दुर्धर्ष थी। सरकार ने फिर जोरों से गोल-सभा की चर्चा उठाई, और महात्मा गांधी के उसमें योग देने की पूरी चेष्टा की। पर महात्मा गांधी विना अपनी शतों को मनाए उसमें जाने को तैयार न थे, और शर्तों के पालन का वचन देना वाइसराय के लिये अशक्य था। निदान नरम दल के नेताओं और राज-प्रति- निधियों को लेकर यह सभा करने का निश्चय कर लिया गया ।