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गो-दान
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साहब को धन्यवाद देना भी भूल गये। राय साहब को चन्दे की सूची दिखाकर उन्होंने बड़ा अनर्थ किया,यह शूल उन्हें व्यथित करने लगा।।

मिस्टर खन्ना ने राय साहब को दया और उपहास की दृष्टि से देखा,मानो कह रहे हों,कितने बड़े गधे हो तुम!

सहसा मेहता राय साहब के गले लिपट गये और उन्मुक्त कंठ से बोले-Thrce checrs for Rai Sahib, Hip Hip Hurrah!

खन्ना ने खिसियाकर कहा-यह लोग राजे-महराजे ठहरे, यह इन कामों में दान न दें,तो कौन दे।

मेहता बोले- मैं तो आपको राजाओं का राजा समझता हूँ। आप उन पर शासन करते हैं। उनकी कोठी आपके हाथ में है।

राय साहब प्रसन्न हो गये---यह आपने बड़े मार्के की वात कही मेहता जी! हम नाम के राजा हैं। असली राजा तो हमारे बैंकर है।

मेहता ने खन्ना की खुशामद का पहल अख्तियार किया-मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है खन्नाजी! आप अभी इस काम में नहीं गरीक होना चाहते,न सही,लेकिन कभी न कभी आप ज़रूर आयेंगे। लक्ष्मीपतियों की बदौलत ही हमारी बड़ी-बड़ी संस्थाएं चलती हैं। राष्ट्रीय आन्दोलन को दो-तीन साल तक किसने इतनी धूम-धाम से चलाया! इतनी धर्मशालायें और पाठशालायें कौन बनवा रहा है? आज संसार का शासन-सूत्र बैंकरों के हाथ में है। सरकार उनके हाथ का खिलौना है। मैं भी आपसे निराश नहीं हूँ। जो व्यक्ति राष्ट्र के लिए जेल जा सकता है,उसके लिए दो-चार हज़ार खर्च कर देना कोई बड़ी बात नहीं है। हमने तय किया है,इस शाला का बुनियादी पत्थर गोविन्दी देवी के हाथों रखा जाय। हम दोनों शीघ्र ही गवर्नर साहब से भी मिलेंगे और मुझे विश्वास है,हमें उनकी सहायता मिल जायगी। लेडी विलसन को महिला-आन्दोलन से कितना प्रेम है,आप जानते ही हैं। राजा साहब की और अन्य सज्जनों की भी राय थी कि लेडी विलसन से ही बुनियाद रखवाई जाय;लेकिन अन्त में यही निश्चय हुआ कि यह शुभ कार्य किसी अपनी बहन के हाथों होना चाहिए। आप कम-से-कम इस अवसर पर आयेंगे तो ज़रूर ?

खन्ना ने उपहास किया--हाँ,जब लार्ड विलसन आयेंगे तो मेरा पहुँचना ज़रूरी ही है। इस तरह आप बहुत-से रईसों को फाँस लेंगे। आप लोगों को लटके खूब सूझते हैं। और हमारे रईस हैं भी इस लायक़। उन्हें उल्लू बनाकर ही मूंडा जा सकता है।

'जब धन ज़रूरत से ज्यादा हो जाता है,तो अपने लिए निकास का मार्ग खोजता है। यों न निकल पायगा तो जुए में जायगा,घुड़दौड़ में जायगा,ईट-पत्थर में जायगा,या ऐयाशी में जायगा।'

ग्यारह का अमल था। खन्ना साहब के दफ्तर का समय आ गया। मेहता चले गये। राय साहब भी उठे कि खन्ना ने उनका हाथ पकड़कर बैठा लिया-नहीं,आप जरा बैठिए। आप देख रहे हैं,मेहता ने मुझे इस बुरी तरह फाँसा है कि निकलने का