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गोदान
२९
 

'मालिक तुमसे बहुत खुश हैं।'

'उनकी दया है।'

एक क्षण के बाद भोला ने फिर पूछा-सगुन करने के लिए रुपए का कुछ जुगाड़ कर लिया है? माली बन जाने से तो गला न छूटेगा।

होरी ने मुंह का पसीना पोंछकर कहा-उसी की चिन्ता तो मारे डालती है दादा!अनाज तो सब-का-सब खलिहान में ही तुल गया। ज़मींदार ने अपना लिया,महाजन ने अपना लिया। मेरे लिए पाँच सेर अनाज बच रहा। यह भूसा तो मैने रातोंरात ढोकर छिपा दिया था,नहीं तिनका भी न बचता। जमींदार तो एक ही है। मगर महाजन तीनतीन हैं,सहुआइन अलग,मॅगरू अलग और दातादीन पण्डित अलग। किसी का व्याज भी पूरा न चुका। जमींदार के भी आधे रुपए बाकी पड़ गये। सहुआइन से फिर रुपए उधार लिये तो काम चला। सब तरह किफायत कर के देख लिया भैया,कुछ नहीं होता। हमारा जनम इसी लिए हुआ है कि अपना रक्त वहायें और वड़ों का घर भरें। मूलका दुगना सूद भर चुका;पर मूल ज्यों-का-त्यों सिर पर सवार है। लोग कहते हैं, सर्दी-गर्मी में, तीरथ-बरत में हाथ बाँधकर खरच करो। मुदा रास्ता कोई नहीं दिखाता। राय साहब ने बेटे के व्याह में बीस हजार लुटा दिये। उनसे कोई कुछ नहीं कहता। मंगरू ने अपने वाप के क्रिया-करम में पाँच हजार लगाये। उनसे कोई कुछ नहीं पूछता। वैसा ही मरजाद तो सबका है।

भोला ने करुण भाव से कहा-बड़े आदमियों की वरावरी तुम कैसे कर सकते हो भाई?

'आदमी तो हम भी है।'

'कौन कहता है कि हम तुम आदमी है। हममें आदमियत कहाँ?आदमी वह हैं,जिनके पास धन है,अख्तियार है, इलम है,हम लोग तो बैल हैं और जुतने के लिए पैदा हुए हैं। उसपर एक दूसरे को देख नहीं सकता। एका का नाम नहीं। एक किमान दूसरे के खेत पर न चढ़े तो कोई जाफा कैसे करे,प्रेम तो संसार से उठ गया।'

बूढ़ों के लिए अतीत के सुखों और वर्तमान के दुःखों और भविष्य के सर्वनाश से ज्यादा मनोरंजक और कोई प्रसंग नहीं होता। दोनों मित्र अपने-अपने दुखड़े रोते रहे। भोला ने अपने बेटों के करतूत सुनाये, होरी ने अपने भाइयों का रोना रोया और तब एक कुएँ पर बोझ रखकर पानी पीने के लिए बैठ गये। गोवर ने बनिये से लोटा माँगा और पानी खींचने लगा।

भोला ने सहृदयता से पूछा-अलगौझे के समय तो तुम्हें बड़ा रंज हुआ होगा। भाइयों को तो तुमने बेटों की तरह पाला था।

होरी आर्द्र कण्ठ से बोला-कुछ न पूछो दादा,यही जी चाहता था कि कहीं जाके डूब मरूँ। मेरे जीते जी सब कुछ हो गया। जिनके पीछे अपनी जवानी धूल में मिला दी वही मेरे मुद्दई हो गये और झगड़े की जड़ क्या थी?यही कि मेरी घरवाली हार में काम करने क्यों नहीं जाती। पूछो,घर देखनेवाला भी कोई चाहिए कि नहीं। लेना-देना,