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पृष्ठ:गो-दान.djvu/३५४

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३५६ गोदान

इनकार कर दिया। जमींदार ने देखा, सारा गाँव एक हो गया है तो लाचार हो गया। खेत बेदखल कर दे, तो जोते कौन ! इस ज़माने में जब तक कड़े न पड़ो, कोई नहीं सुनता। बिना रोये तो बालक भी माँ से दूध नहीं पाता।)

रामसेवक तीसरे पहर चला गया और धनिया और होरी पर न मिटनेवाला असर छोड़ गया। दातादीन का मन्त्र जाग गया।

उन्होंने पूछा--अब क्या कहते हो?

होरी ने धनिया की ओर इशारा करके कहा--इससे पूछो।

'हम तुम दोनों से पूछते हैं।'

धनिया बोली--उमिर तो ज्यादा है। लेकिन तुम लोगों की राय है, तो मुझे भी मंजूर है। तकदीर में जो लिखा होगा, वह तो आगे आयेगा ही; मगर आदमी अच्छा है।

और होरी को तो रामसेवक पर वह विश्वास हो गया था, जो दुर्बलों को जीवटवाले आदमियों पर होता है। वह शेख चिल्ली के-से मंसूबे बाँधने लगा था। ऐसा आदमी उसका हाथ पकड़ ले, तो बेड़ा पार है।

विवाह का मुहू़र्त ठीक हो गया। गोबर को भी बुलाना होगा। अपनी तरफ़ से लिख दो, आने न आने का उसे अख्तियार है। यह कहने को तो मुंँह न रहे कि तुमने मुझे बुलाया कब था? सोना को भी बुलाना होगा।

धनिया ने कहा--गोबर तो ऐसा नहीं था, लेकिन जब झुनिया आने दे। परदेश जाकर ऐसा भूल गया कि न चिट्ठी न पत्री। न जाने कैसे हैं।--यह कहते-कहते उसकी आँखें सजल हो गयीं।

गोबर को खत मिला, तो चलने को तैयार हो गया। झुनिया को जाना अच्छा तो न लगता था; पर इस अवसर पर कुछ कह न सकी। बहन के ब्याह में भाई का न जाना कैसे सम्भव है ! सोना के,ब्याह में न जाने का कलंक क्या कम है ?

गोबर आर्द्र कण्ठ से बोला--(माँ-बाप से खिचे रहना कोई अच्छी बात नहीं है। अब हमारे हाथ-पाँव हैं, उनसे खिच लें, चाहे लड़ लें; लेकिन जन्म तो उन्हीं ने दिया, पाल-पोसकर जवान तो उन्हीं ने किया, अब वह हमें चार बात भी कहें, तो हमें गम खाना चाहिए। इधर मुझे बार-बार अम्माँ-दादा की याद आया करती है। उस बखत मुझे न जाने क्यों उन पर गुस्सा आ गया। तेरे कारन माँ-बाप को भी छोड़ना पड़ा।)

झुनिया तिनक उठी--मेरे सिर पर यह पाप न लगाओ, हाँ! तुम्हीं को लड़ने की सूझी थी। मैं तो अम्माँ के पास इतने दिन रही, कभी साँस तक न लिया।

'लड़ाई तेरे कारन हुई।'

'अच्छा मेरे ही कारन सही। मैंने भी तो तुम्हारे लिए अपना घर-बार छोड़ दिया।'

'तेरे घर में कौन तुझे प्यार करता था। भाई बिगड़ते थे, भावजें जलाती थीं। भोला जो तुझे पा जाते तो कच्चा ही खा जाते।'

'तुम्हारे ही कारन।'

'अबकी जब तक रहें, इस तरह रहें कि उन्हें भी जिन्दगानी का कुछ सुख मिले।