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पृष्ठ:गो-दान.djvu/४७

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गोदान
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पर उसने संघा तक नहीं। मगर यह कोई नयी बात न थी। जानवरों को भी बहुधा घर छूट जाने का दुःख होता है।

होरी बाहर खाट पर बैठ कर चिलम पीने लाग,तो फिर भाइयों की याद आयी। नहीं,आज इस शुभ अवसर पर वह भाइयों की उपेक्षा नहीं कर सकता। उसका हृदय वह विभूति पाकर विशाल हो गया था। भाइयों से अलग हो गया है,तो क्या हुआ। उनका दुश्मन तो नहीं है। यही गाय तीन साल पहले आयी होती,तो सभी का उस पर बराबर अधिकार होता। और कल को यही गाय दूध देने लगेगी,तो क्या वह भाइयों के घर दूध न भेजेगा या दही न भेजेगा? ऐसा तो उसका धरम नहीं है। भाई उसका बुग चेते,वह क्यों उनका बुरा चेते। अपनी-अपनी करनी तो अपने-अपने साथ ह।

उसने नारियल खाट के पाये से लगाकर रख दिया और हीरा के घर की ओर चला। सोभा का घर भी उधर ही था। दोनों अपने-अपने द्वार पर लेटे हुए थे। काफी अँधेरा था। होरी पर उनमें से किसी की निगाह नहीं पड़ी। दोनों में कुछ बातें हो रही थीं। होरी ठिठक गया और उनकी बातें सुनने लगा। ऐसा आदमी कहाँ है, जो अपनी चर्चा सुनकर टाल जाय।

हीरा ने कहा-जब तक एक में थे एक वकरी भी नहीं ली। अव पछाईं गाय ली जाती है। भाई का हक मारकर किसी को फलते-फूलते नहीं देखा।

सोभा बोला--यह तुम अन्याय कर रहे हो हीरा!भैया ने एक-एक पैसे का हिसाव दे दिया था। यह मैं कभी न मानूंगा कि उन्होंने पहले की कमाई छिपा रखी थी।

'तुम मानो चाहे न मानो,है यह पहले की कमाई।'

'किसी पर झूठा इलजाम न लगाना चाहिए।'

'अच्छा तो यह रुपए कहाँ से आ गये? कहाँ से हुन बरस पड़ा। उतने ही खेत तो हमारे पास भी हैं। उतनी ही उपज हमारी भी है। फिर क्यों हमारे पास कफन को कौड़ी नहीं और उनके घर नयी गाय आती है?'

'उधार लाये होंगे।'

'भोला उधार देनेवाला आदमी नहीं है।'

'कुछ भी हो,गाय है बड़ी सुन्दर,गोवर लिये जाता था, तो मैंने रास्ते में देखा।'

'बेईमानी का धन जैसे आता है,वैसे ही जाता है। भगवान् चाहेंगे,तो बहुत दिन गाय घर में न रहेगी।

होरी से और न सुना गया। वह बीती बातों को बिसारकर अपने हृदय में स्नेह और सौहार्द भरे भाइयों के पास आया था। इस आघात ने जैसे उसके हृदय में छेद कर दिया और वह रस-भाव उसमें किसी तरह नहीं टिक रहा था। लत्ते और चिथड़े ठंसकर अब उस प्रवाह को नहीं रोक सकता। जी में एक उबाल आया कि उसी क्षण इस आक्षेप का जवाब दे;लेकिन बात बढ़ जाने के भय से चुप रह गया। अगर उसकी नीयत साफ है, तो कोई कुछ नहीं कर सकता। भगवान के सामने वह निर्दोष है। दूसरों की उसे परवाह नहीं। उलटे पाँव लौट आया। और वह जला हुआ तम्बाकू पीने लगा। लेकिन जैसे वह विष