पृष्ठ:चंदायन.djvu/१७०

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१-पद अपाय है। २-आन । ३-आग। ४-पद अपाय है। ५-लोग अयवा लेक । ६-पद अपाट्य है। ५-पट अपाध्य है। ८-कार क्वोर । ९-अपाच्य है । १०-पत्ति ६-७ अपाटर हैं। टिप्पणी-(१) परजारा (स० प्रवल>प्रा० पज्जल, पल> पन, परजरना)- जगया। (३) माटो-मण्डप | (५) सुर्ना धान, कुत्ता। १४४ (रोलैपड्म १०२) याज गुस्तन महर या पतर व नवाख्तने गेरव राव कर पील सकार ___ यदंन दीदने राहा (महरका विजय कर रोटना और रोरक्को हापी पर बेटा फा जुल्म निकालना) रन जित महर गोवर सिधारा । लोरक सतरी वीर हकारा ॥१ दइ के पान महर गिय लाया । औ गज मैमत आन चढ़ावा ॥२ चवरधर दोड चॅबर डुलावहिं । सी राउत आगे के आवहिं ॥३ ऊपर रात पिछोरे तानी । चढि धौराहर देरी रानी ॥४ चल गोवर सब देर आया । रन लोरक खॉडे जस पावा ॥५ मुनिपर दीन्ह असीसा, गोवराँ होई पधाउ ।६ धन धन वीर भू ऊपर, पूजा लोग चढ़ाउ ॥७ टिप्पणी--(२) गिय राधा-गले लगाया। (४) रात पिरागर चंदोया । अन्यास सौ इव तयारीय औरशारीप अनुसार सार रगरा तम्बू या शामियाना चेयर राजापे उपयोगम आता था अथवा जिस पर राजकृपा होती थी उसे प्रदान किया जाता था । जायसीने पद्मावती शयनागारमे सल चैदोस उप किया है (२९११४) लाल रग रान सम्मानका सूचा समझा जाता था। (५) जम-या।