१६७ स्वेल) कवाकब, जल्योदरी नामर पक्षी जो बतख और मुर्गार वीचकी जातिकी होती है । सचियन-टोकरियों भर, असख्य । (२) उसरतलोवा-इसे उसरसगेरी भी कहते है | यह भूरे रगती होती है और ऊसरमे दो-तीन सौके झुण्डमें एक साथ पायी जाती है । (३) परवा-कबूतर । टटोरा–टटोल्फर । (४) वनकुकुरा-बनक्कुट, मनमुर्गी । केरमोरो-चरज, चरत, सोहन, यह मोरवे समान किन्तु उससे छोटा होता है। पूंज-कुज, ओंच, कुल्ग। १५५ (रीलैण्ड्स ) सिफ्ते पुजानीदने ताआम दर मतबस (भोजन यमानेका वर्णन ) तीन चार से बैठ सुवारा । चीडर आन रसोई परजारा ॥१ मास मसोरा कटयाँ कीन्हाँ । लै धेगार पतियाँ कर दीन्हाँ ॥२ बेगर वेगर पंसि पकाई । घिरत यथार मिरच भराई ॥३ मिरचन अविरचन बनवा वरा । रस रतनाकर सेंधो गेरा ॥४ कुकु मेलि कियो यसवारू । दरौद करौंद अँविली चारू ।।५ कनक तराकत लखोर, लोन तेल पिसवार ६ सटरस होइ महारस, तिलकुट कियउ अहार ॥७ टिप्पणी-(१) सुवारा-सूपमार, रसोइया । आन-लाकर । परजारा-(स० प्रज्वलन>प्रा० पज्जल, पर्जल,> पर्जर> परजरना) प्रज्वलित क्यिा, जलाया। (२) मसोरा-वाब, पीसकर बनाया हुआ। क्टवाँ-काटकर बनाये हुए । घगार-झोक्न, यघार । (३) बेगर बेगर-तरह तरहने, भित्र भिन प्रसार वे | वधार-ौंमा । (४) सेंधो-सैन्धव, संधा नमक । (५) कुंकू-वैसर । मेलि-मिलाकर | बसबारू-ौंको मसालेसे छौंका।
पृष्ठ:चंदायन.djvu/१७७
दिखावट