पृष्ठ:चंदायन.djvu/१८१

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२७१ टिप्पणी-इस कडवक में ३० प्रकारचे चावरोके नाम इस प्रकार गिनाये है- (१) गीरसार (२) रितुसार (३) विकौनी (४) र (५) धनिया (६) मधुकर (७) तूनी (८) रुगुना (९) छाली (१०) चौधरा (११)वकर (१२) उंडर (१३) कॉडर (१४) अगरसार (१५) रतना (१६) मलमरी (१७) राजनेत (१८) मोदी (१९) सौखरी (२०) करगी (२१) करगा (२२) साठी (२३) सुरमा (२४) भसा (२५) महसर (२६) आगरधनी (२७) रूपसिया (२८) दहिसरोधी अथवा सोनदही (२९) कैदोझा (३०) अतिधूपी ! इनमें से केवल ४-५ नाम जायसीकी सूची (पदमावत, ५४४) म मिलते है । इन सब चावलोंकी पहचान हमारे लिए सम्भव नहीं हो सकी। (१) रिनुसार--(म० रत्तशालि>रतसारिरितुसार)। रमशालिया सस्कृत साहित्यमे प्राय उल्लेख मिलता है । सम्भवत यह लाल रगया धान होगा। विकौनी-सम्भवत रह जायसी उल्लिखित विरोरी होगा। मधुकर-हल्ये काले रंगका पतला छोटा महीन धान, इसका चायल सफेद और इसमें हल्की सुगन्धि होती है। यह अगहनी धान है जो रोपा जाता है। (२) सगुना--(स० शकुनी) इसे सगुनी या सउनी भी कहते है । इसका दाना महीन और चावल अत्यन्त सुगन्धित होता है। बैटर-यद्यपि निश्चित नही पर हो सकता है यह जायसीफा स्पॅडचिला हो । फॉपर- यह धान दो प्रकारका होता है.--(१) धीकॉटर जो धितंकोंदो भी कहा जाता है, और (२) दुधकॉडर । इसकी भूसी लाल और चावल सफेद और मोटा होता है । यद रिना थी-दूधके ही स्वादिष्ट होता है। (३) राजनेत-सम्भव है यही चावल हो जिसे आज पल राजभोग या राय भोग कहते है यह धान आकारमें बहुत छोटा और विवरयर वोया जाता है । इसम सुगन्धि होती है। (४) करेंगी-लाल अथरा काग भूमीश धान । इसका चावल छोटा और हल्का लाल होता है और सानेमे मीठा होता है । करेंगा-करेंगीली जातिका धान जो आधार में कुछ बडा होता है। साठी बरंगीकी ही जातिका धान जो नाटा मोटा होता है और कुछ ललाई लिए रहता है। इसे भदई रहते है । इसरे सम्म धर्म उत्ति है--साटी पाकै साठ दिनों । जब दइउ परोसे रात दिनों ।। मसा-सवा हँसा पाठ भी सभर है। जायसी की सूची में रायहस और हसाभौरी नामक दो चावलोंका उल्लेस है । रायहस तो कदाचित हसराज नामक प्रसिद्ध चावल है। हसरी भूसी सफेद होती है और यह पुआलसे बाहर आकर पकता है । हसा