पृष्ठ:चंदायन.djvu/२२०

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२१० २२६ (रोलैण्ड्स १७६) वने मुबह साना पदने नाँदा रस रा जेर तख्त (प्रात सल चाँदरा रोरफको शैय्याके नीचे छिपाना) केलि करत सब रैन निहानी । देस सूर धनि उठी डरानी ॥१ जीलहि चेरी उठ न पावा । तौलहि चॉदै सुरुज लुकावा ॥२ मन सँस आपुन नाही लोरा । मत कुछ होड भुल डर तोरा ॥३ मत कोई चेरी देर्स पावा । जाइ महर पहँ पात जनावा ॥४ जो कोइ तिहको देखें आई। हौं फन मरों तोहु विस साई ॥५ पिरम सेलें जो कर साहस, सो तरि लागे पार ६ मॉझ समुंद होइ थाके, तीर लाउ करतार ॥७ २२७ (रीलैण्ड्स १७७) आप आवर्दने यनीजगान व स्ये चाँदा शुम्तन व आमदने सहेल्यिान (दासियोरा पानी लार चाँदरा मुँह धुलाना : सहेलियोरा आना) भोर चेरि पानी लै आयी । मुस धोवा और ससी बुलायीं ॥१ फेंफर मुसनिसि चॉद न सोग । चीर फाट कहवाँ लह गोवा ॥२ फिरी मॉग केस उधियानी । फूल झरि मरि रही कुंभलानी ॥३ ससिहँ देसि दो आफै अइसे । तोर चॉद फर आँगी कैसे ॥४ भये अनन्द लोयन रतनारी । देह दस तमोल पियारी ॥५ चोली चीर सँवारहु, सीस सिन्दूरहु माँग ६ भेंवर फूल पर चैटो, लाग दीख तिह ऑग ।।७ २२८ (रीरेण्ड्म २७८) जगार दादन चौदा मर राइल्यिान अज पराना (चदिका मरियॉम यहाना वरना) चाँद सहेलिन सो अम कहा । एकउ चेरि न जागत रहा ॥१