पृष्ठ:चंदायन.djvu/२७४

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३२७ (रोटेण्ड्म २५५ • एम्बई २७६) आमदने वारदारान व गुप्तन लेकर (ग्राह्मणों का लोरक्से भार कहना ) बॉभन जाइ सो दीन्हि असीमा' । बात सुनत सभ' उतरी रीसा ॥१ लोरक कहा चॉद कम कीजइ । इह बॉभन का ऊतर दीजइ ॥२ बहुतै जन' हम इहॅके मारे । मॅड़ काट के दीन्ह अदाये ॥३ जे पर राजा लागि गुहारा । झुझ मरत कै दयी उवारा ॥४ राजा आह भल उह नियाई । सुनके बात विहिं कहसि पठाई ॥५ मता जो हम तुम ऊपजै, चॉदा अउर न कोऊ आह'।६ माइ चाप बन्धु कोउ नाही, बॉमन पूछहु काह" ॥७ पाटान्तर--बम्बई प्रति-- शीर्षफ--रसीदने जुगारदारान अर कोरफ घ चाँदा (लोरक और चाँदके निकट ब्राह्मणोरा आना) १---बाँभन दोन्हि आह असीसा । २-मन । ३-ई पहुनदि (8) क्स | ४-बहुत लोग। ५-मूंट मुंडाइ जो रीस निसारे । ६-जे ऊपर अब उटगुआरी। जूझि मरे जो लागि गुहारी ।। ७-राउ बरा औ अदै नियाई । धन पान दइ बाच पठाई ।। ८-सोर्ट पर भल आहि । -भाइ बन्धु लोग न कुटुंबा, पटुन (१) पृछ अब जाहि ।। ३२८ (रीलैण्ड्म २५५ : अम्बई २८ : मनेर ६५५) बाज आपदने जुनासदारान मर लोरक कलामे राव करका (प्रामणोंका आकर लोरक से राय करका का सन्देश कहना ) एक ऑभन गाफिर' दस आपे । वचन राड के आइ सुनाये ॥१ चलहु लोर अपने पौ' धारडु । हम जियत जीउ जिन हारहु॥२ चला लोर सँजोई उतारा । आइ करंका राइ जुहारा ॥३ बहुतै अँई चलि हम आये । राजा सोक' घरी सॅताये ॥४ नैन न देखा सुना न काऊ । दुहुँ महँ दान लीन्ह वटाऊँ"।५