पृष्ठ:चंदायन.djvu/४१९

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४११ ल। लोरिक्ने अपनी बात बतायी । बठयाने तत्काल अपनी चमारिनको बुल्या भेजा। मेरी धूमो, इस रावतको जमीनमें इस वरह कसकर गाड़ तो दो कि बद कमी निकल न सके। मैं उसे ऐसा गाढूंगी कि वह कभी निकल ही न सके और तुम आकर उसे मार कर वीर कहाओ-चमारिन बोली और हाथ भरका एक लोहा ले आयी। गड्डा सोदकर यह लगेरिफको गाडने लगी। तब मनजरियाने चारों ओर अशर्तियाँ बिखेर दी। ललची चमारिन अपना काम छोडकर उन्हें बटोरने रुपकी। इस बीच होरिफने भीतर ही भीतर अपना पैर दीला कर लिया। उधर मनजरियाने यठवाको सूब कसकर गाडा। फिर यहाँसे हटकर बोली-चलो अब मारो। बटवाने गड्ढे से बाहर आनेकी बहुत कोशिश की, लेकिन एक तिल भी हट न सका। उधर लोरिक इतनी जोरसे उछला कि जमीनसे पाँच हाथ ऊपर चला गया। नीचे आकर उसने अपने रहसे यठवाकी सूच मरम्मत की। इतना मारा कि उसकी लाठी टूट गयी। उसने दूसरी लाठी उठायी। सब मठवा हाथ जोडकर कहने लगा-बस करो रावत, मगढ़ा लूला कैसा भी जीने भर दो। मैं तुम्हारा गौरागढ़ छोड दूंगा । तुम्हारी चप्पलें सिया करूँगा। ___ यह सुनकर मनजरियाने लोरिक्को मारनेसे रोका और धूमोसे बोली-ले जा अपने पतिको, अरण्डवे पत्तोंसे सेंक कर । लोरिक और मनजरिया दोनों घर लौट आये । छिपे छिपे चन्दैनीने उन दोर्ना को जाते देखा । वह मन ही मन कहने लगी-मेरे नाथ, मेरे देवता, तुम्हारी तरह का आदगी त्रिलोकमें नहीं है। वह दिन कब आयेगा, जब मैं एक प्रेमिकाको तरह तुम्हारे साय भाग चलूंगी। और तब च दैनी अपने भाई महन्तरीसे बोली-लोरिको आने जानेके रास्ते में मेरे लिए एक झूला डाल दो। भाईने झूला डाल दिया। लोरिक्ने उस रास्तेसे आना ही बन्द कर दिया। दिन गिनते गिनते चन्दैनीकी उँगलियाँ घिस गयी, उसकी राह देसते देखते ऑसे थक गयो पर वारे सिवा कुछ दिखाई न दिया। तब यह देवी देवताओंको मनाने लगी। एक दिन लोरिक अपने अपाईसे उछी रास्ते अपने घर रौटा । उसे आते देय चन्दैनी अपने झूलेपर बैठ गयी । बोली- मुझे झूला न झूला दोगे रावत! नाना-लोरिक बोल-मेरे साथी सब देस रहे होंगे, सारे देश में बदनाम हो जाऊँगा। मुझे झूला ने शुओ तो तुम्हें अपनी माँ बहनकी यसमा कसम सुनकर लोरिक्सो गुस्सा आ गया। उसने इतनी जोरसे छला शुलाया कि चन्दैनी आधी दूर आसमान का गयी और उल्लाको धरह नीचे गिरने लगी। उसके वस्त्र मुल गये,