सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:चंदायन.djvu/५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४३
 

१२--तर महरने भारसे कहा कि तुम्ही दोडकर लेरको पास जाओ और उन्हें बुला लाओ। भाट तत्काल घोडेपर सवार होकर रक्के पास पहुंचा और महरका सन्देश कह सुनाया । मुनते ही गेरक युद्धम जानेके लिए तैयार हो गया। यह देखकर उसकी पत्नी मैंना उसके सामने आकर खडी हो गयी और युद्धम जानेमे उसे रोक्ने लगी । गोरक्ने कहा-मुझे युद्धम जाने लिए तिलक लगाकर आशीर्वाद दो कि मैं बॉठा (रूपचन्दका एक वीर) को मारकर घर आऊँ। मैं लौटकर नुम्ह मोने गहने बनवा ,गा और मोतियों से तेरी मॉग भराऊँगा। तब पत्नीने पिदा दी और लोरक अजयी के घर गया। अजयीसे युद्ध कौशल्की दीक्षा लेकर वह महरके पास पहुँचा । महरने उसे पानसे तीन बीड़ दिये और कहा कि तुम जीतकर आओगे तो तुम्हें मुसज्जित घोडा भट करूँगा । (१२१ १२७) १३-लोरक अपनी सेना रेफर युद्ध-क्षेत्रकी ओर चला । उसकी सेना देखकर रूपचन्द भयभीत हो गया और दूत भेजकर कहलाया कि एक एक चीर आपसमे लड़ तो अच्छा हो । महरने उसकी बात मान ली तदनुसार दोनो ओरके वीर एक एक कर सामने आकर डने लगे। अन्तम रूपचदकी ओरसे बाँठा आगे आया और महरने उसका सामना करने के लिए लोरकको भेजा । युद्धमें बाँठा हार गया। फिर कोरक और रूपचन्दमे युद्ध हुआ और वह हारकर भाग सडा हुआ। लोरक्ने उसका पीछा किया और उसे भगा दिया । (१२८ १४३) १४-युद्ध जीतकर महर गोवर पहुँचा और लोरक चीरयो बुलाकर उमे पान का बीडा दिया और हाथीपर बैठाकर उसग जुलूस निकाल । रानियाँ धौरहरपर खडी होकर उसे देखने लगी । ब्राह्मणांने लोरकको आशीवाद दिया, गोवरम आनन्द मनाया जाने लगा । (१४४) १५-~-चाँद भी अपनी दासी बिरस्पतको रेकर धौरहरके ऊपर गयी और, उससे लोरक्को दिखानेको कहा । बिरस्पतने उसे दिसायरा । लेस्को देखते हो चाँद विक्ल होकर मूर्छित हो गयी। बिरस्पतने उसके मुसपर पानी छिडका और बोली कि अपनेको सम्हालो । जो तुम्हारे मनम है उसे कहो, मैं उसे रात बीतते ही पूरा करूँगी । (१४५ १४८) १६-दूसरे दिन प्रात कार जब विरस्पत आयी तो चॉदने कहा--जिसे मैंने कल देरा, उसे या तो मेरे घर बुलाओ या मुझे उसरे निकट ले चलो। रिस्पतने कहा कि मैं लोरकको अपने घर बुलानेका उपाय तुम्ह बताती हूँ। तुम अपने पितासे गोवर- ये नागरिकों को प्योनारपर बुलाने लिए कहो। यह सुनते ही चाँद महररे पास गयो और बोली कि मैंने मनौनी मानी थी कि जब मरे पिता रण जीतकर आयेंगे तो सब लेगोको निमनित कर भाजन कराऊँगी । चाँदकी बात सुनते ही महरने नाई बुलाकर सारे गोवरमे ज्योनारका निमत्रण भेज दिया और नाई दसो दिशाम जार निमनण दे आये। महरने अहेरियोको शिकार लाने और बारियोंको पत्ते लाने लिए भेजा।