होगी। वह दिन आया। सभी जाति की स्त्रिया पूजा करने चली। चाँद भी अपनी सहेलियाको लकर मदिर गयी, देवताकी पूजा की और मनौती मानी कि यदि लोरक पतिक रूपम प्राप्त हो गया तो आप कल्शको घृतसे भरपाऊँगी । (२५० २५४) ३१-मैना भी पालकीपर सवार होकर अपनी सखियों सहित मदिरमे आयी और देवताको पूजाकी और उह अपनी पथा यह सुनायी। पूजा पर जब वह बाहर निकली तो उसक कुम्हलाये हुए रूपको देख चाँदने हमकर उदासीका कारण पृछा । मैनाने उसका उत्तर दिया और अपने मनका रोप चॉदपर प्रकटकर दिया। पल्त हसीकी बात उत्तर प्रतिउत्तरमें उनरोत्तर गम्भीर होती गयी। चाँद और मैंनाम पहले गाली गलौज और फिर मारपीट होने लगी। तर लोरकने आकर उन दोनोमो अलग किया । दोनों ही स्त्रियाँ अपने-अपने घर रोटी । (२९५ २७४) ३२-मनाने घर आक्र मानिनको बुलाया और उसे चॉदकी शिकायत लेकर महरिके पास भेजा। मालिनने जाकर महरिसे चाँदवी सारी बात कही। उसे सुनकर महरि अत्यन्त लजित और क्षुब्ध हुद । (२७२२७८) ३३-चादने बिरस्पत से कहा कि जो कुछ बात ढंकी छिपी थी, यह अब सब लोगों पर प्रकट हो गयी । जिस बातसे मैं डर रही थी, वही बात सामने आ गयी । अब तो यही रह गया कि या तो देशको गालियाँ सुनें या फिर फटार मोक्कर मर जाऊँ। तुम लोरकसे जाकर कहो कि आज रातको वह मुझे लेकर भाग चले नहा तो प्रात कालम प्राण तज दूँगी । बिरस्पतने जाकर लोरकसे चाँदका सदेश कहा। पहले तो लोरक भागनेपर राजी नही हुआ, पर बादम बिरस्पतके समझाने बुझानेपर चाँदको ले जानेको तैयार हो गया। पण्डितसे शुभ घडी पूछकर उसने आधी रातको चलनेका निश्चय किया। (१७९२९०) (इस अपरे कुछ कडवक अप्राप्य है, अत घटनाका स्पष्ट रूप सामने नहीं आता।) ३४-गत हुइ तो लोरक आया और बरहा (रस्सी) पककर अपने आनेकी सूचना चाँदको दी। चाँद उसकी प्रतीक्षा कर ही रही थी। आभरण, मानिक, मोती साथ लेकर वह रस्सीके सहारे नीचे उतर आयी। बरसातकी घोर अँधेरी रात्रिमे दोनों चल पड़ । रास्ते में चाँदने कहा कि हमारे भागनेकी खबर यदि बावनको मालूम हो गयी तो उसके देसते वोई भागकर जा नही सकता। वह देखते ही मछलीकी तरह मार डालेगा। लोरकने कहा-तुम मुझे इस तरह मत डराओ। अभीतक मैंने स्पषद और आँठाको मारा है, अब यावनको यारी है। (२९१ २९२) ३५-लोरकर भाग जानेपर उसकी पत्नी मजरी (मैना) उसक अस्त्र शोंको सेकर रोती रही । (२९३) ३६-लोरक और चाँदने काले वस्त्र पहन लिए । लोरकने अपने दोनो हाथों में साँड और चाँदने अपने हायम धनुप लिया और दोनों चल पड़े । गोवरसे दरा योस दूर पहुँचे और रास्तेको क्तराकर चलने लगे। यहाँ लोरक्का भाइ पँचरू रहता था। उसने लरकको आते देखा और उसकी ओर भागा। रेकिन चाँदको पीछे पीछे
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