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पृष्ठ:चंदायन.djvu/८१

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सम्पादन विधि

. प्रस्तुत सम्पादन कार्यमे प्रत्येक पश्वरको अयन कर पाठ कम निर्धारित किया गया है । जहाँ कही विसी बडवक्या अभाव जान पडा, उसका शक छोड दिया गया। जिन बडवोंको पूर्वापरके अभावमे मरद करना सम्भव न हो सका, उहे सम्भावित स्थानपर बिना किसी कमरयाके रस दिया गया है। ० प्रत्येक कवक रख्या नीचे उस प्रति अथवा प्रतियोंका नाम और पृष्ट दिया गया है जिसमें वह बडवक उपलब्ध है। जिस प्रतिका पाठ ग्रहण किया गया है, उस प्रतिका नाम पहले अन्य प्रतियों का बादम रसा गया है। .तदनन्तर अनुवाद सहित बडका फारसी शीर्षक दिया गया है। शीर्षक भी उसी प्रतिसे दिया गया है, जिसका पाठ ग्रहण किया गया है। अन्य प्रतियों के शीर्षक पाठान्तर अतर्गत दिये गये है। यदि शीपक पडवक्य विषयसे भिन्न अथवा भ्रमात्मय है, तो उसका सक्त टिप्पणीके अन्तर्गत कर दिया गया है। ७ माव्य पाठ किसी एक प्रतिसे लिया गया है। जिस प्रतिसे पाठ लिया गया है, उसका उल्लेख कडवक के उपर पहले किया गया है। अन्य प्रतियोंकि पाटान्तर नीचे दिये गये है। ० प्रतियों के लिपि दोषको ध्यानमें रखते हुए विवेयके सहारे पाठ सम्पादन किया गया है। पाठ सम्पादन करते समय मात्राओं के सम्बन्धमे निम्नलिखिन सिद्धात ग्रहण किये गये हैं-~- (क) ई, ए और ऐ की मानाएँ वही दी गयी हैं, यहाँ ये (छोटी या बद्धी) पढा जा सका है। (स) माना चिह्नोंघे अभावमें इ और उ की मात्राओंको शब्द रूप और प्रयोगके अनुसार अपनाया गया है। (ग) पाव को प्रसगादा ऊ, ओ और औ की मात्राये रूपमें ग्रहण किया गया है। • अश्रो सम्बन्धमे निम्नलिखित तथ्य उस्लेखनीय हैं- (क) नुत्तों अभावमे जहाँ विसी शब्दवे एक्से अधिक पाठ सम्भव है, वहाँ सर्वसंगत अथवा अर्ध सरत पाठ ग्रहण किया गया है ! जहाँ आवश्यक जान पडा, यहाँ अन्य सम्भव पाटोंको भी टिप्पणीके अन्तर्गत दे दिया गया है।