पृष्ठ:चंदायन.djvu/८९

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७९ वृक्षको को कोमना; ३४९-लोरका माँपको कोसना; ३५०-३५५ लोरकका कोसना ओर विलाप करना; ३५६-गारुडीका आना और रकका उसके पाँव पडना; ३५७-लारकका अपना सर्वस्व देनेका वादा करना; ३५८-रुडीका मन्त्र पहना और चॉदका जीवित होना; ३५१-लोरकका गारुडी सारे आमरण देना; ३६०-विकी उचि। सारंगपुरमें लोरक- महीपतिके साथ जुआ- असिपतिके साथ युद्ध- मद्दसिया द्वारा लोरकका सम्मान (१)- महुअरके साथ युद्ध (१)- चदिको तीसरी बार साँप काटना- (उपर्युक्त घटनामासे सम्बन्ध रखनेवाला अश अनुपलाय हैं। इनका वर्णन कितने कडवकीमे किया गया है, यताना कठिन है। हमने इनका वर्णन कडबक ३६१- ३७२मे होनेका अनुमान किया है। कडवक ३६१से लेरकके सारगपुर पहँचनेका अनुमान होता है । इसके अतिरिक्त चार खण्डित कइवक और उपलब्ध है जिनसे अन्य घटनाओं का आभास मात्र होता है।) चांदका स्वप्न वर्णन- ३७३-चाँदका होशमें आना और सप्न देसने की बात कहना; ३७४-स्वप्नमे सिद्धका लरक्को आदेश। इँटा द्वारा चाँदका अपहरण- ३७५-चाँदको मन्दिरमे बैठाकर लोरकका जाना और टूटा (योगी)का आना; ३७६-ट्रॅटा (योगी) का जादू करना और चाँदका विस्मृत होना, ३७७-सरक- सा लौटकर आना और चाँदाको न पाना, ३७८-टूटा (योगी) का पता ल्गाना; ३७९-टूटा और लोरक, दोनोंका चाँदको अपनी पत्नी बताना; ३८७-सिद्धका उन्हें समासे झगड़ेका फैसला करानेकी सलाह देना; ३८१-सभासे सोरककी परियाद: ३८२-सभाका लोरकसे प्रश्न; ३८३-लोरकका उत्तर; ३८४- जोगीका चाँदको अपनी पत्नी बताना (इस अशके आगे कुछ कडवक अप्राप्प हैं।) हरदीमें लोरक और चाँद- ३८९-लोरक-चाँदका हरदोंकी सीमापर पहुँचना; ३९०-शिकारको जाते हुए राय क्षेतमका लेखको देखना; ३९१-लेरकके सम्बन्ध नाईका जानकारी प्राप्त करना; ३९२-लोरकका परिचय बताना; ३९३-राय शेतमको लेरकका परिचय मिलना; ३९४-लोरफका रायके पास जाना; ३९५-रापका लोरकका सम्मान करना; ३९६-या लोरको घर पारिवारिक उपयोगकी सामग्री भेजना; ३९७-चोरक- का नाई आदिको दान देना ।