पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१६६

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औरतें उस तरफ देख रही हैं जिधर वीरेन्द्रसिंह का लश्कर पड़ा हुआ है। कुँअर कल्याणसिंह के गिरफ्तार हो जाने से किशोरी को एक तरह की निश्चिन्ती-सी हो गई थी क्योंकि ज्यादा डर उसे अपनी शादी उसके साथ हो जाने का था, अपने मरने की उसे जरा भी परवाह न थी। हाँ, कुँअर इन्द्रजीतसिंह को याद वह एक सायत के लिए भी नहीं भुला सकती थी जिनकी तस्वीर उनके कलेजे में खिंची हुई थी। वीरेन्द्रसिंह की चढ़ाई का हाल सुनकर उसे बड़ी खुशी हुई और वह भी अपनी अटारी पर चढ़कर हसरत-भरी निगाहों से उस तरफ देखने लगी जिधर वीरेन्द्रसिंह की फौज पड़ी हुई थी। चाहे यहाँ से बहुत दूर हो तो भी किशोरी की निगाहें वहाँ तक पहुँच और भीड़ में घुस-घुस कर किसी को ढूँढ़ निकालने की कोशिश कर रही थीं। इस समय किशोरी के साथ ही लाली भी थी जिसने आज से कई दिन पहले किशोरी के कमरे में कुन्दन को नारंगी दिखाकर डरा दिया था।

लाली किशोरी की निगहबानी पर रखी गई थी, तो भी वह किशोरी पर मेहरबानी रखती थी। किशोरी ने नारंगी वाले भेद को जानने की कई दफे कोशिश की, मगर पता न लगा। उस दिन के बाद कई दफे कुन्दन से भी मुलाकात हुई, मगर पूछने पर उसने ऐसी कोई बात न कही जिससे किशोरी का शक दूर हो जाय। नित्य एक घर में रहने पर भी लाली और कुन्दन में फिर किसी तरह की दुश्मनी न दिखाई पड़ी, इस बात ने किशोरी के ताज्जुब को और भी बढ़ा रखा था।

इस समय किशोरी के साथ सिवाय लाली के दूसरी कोई औरत न थी। ये दोनों वीरेन्द्रसिंह के लश्कर की तरफ बड़े गौर से देख रही थीं कि यकायक किशोरी को फिर वही नारंगी वाली बात याद आई और थोड़ी देर तक सोचने के बाद वह लाली से पूछने लगी।

किशोरी––लाली, उस दिन की बात जब मैं याद करती हूँ, या उस पर विचार करती हूँ, तो कुन्दन की दगाबाजी साफ झलक जाती है। कुन्दन अगर सच्ची होती तो तुम्हें मारने के लिए न झपटती, या हकीकत में अगर वह उस समय यहाँ से भाग जाने वाली होती तो उसके काम में विघ्न पड़ जाने से उसे रंज होता, सो उसके बदले में वह खुश दिखाई देती है।

लाली––नहीं, वह एकदम से झूठी भी नहीं है।

किशोरी––क्या उसकी बातों का कोई हिस्सा सच भी था?

लाली––जरूर था।

किशोरी––वह क्या?

लाली––यही कि वह भी इस किले में उसी काम के लिए लाई गई है जिस काम के लिए आप लाई गई हैं।

किशोरी––यानी तुम्हारे राजकुमार के साथ ब्याहने के लिए?

लाली––हाँ।

किशोरी––अच्छा, उसकी और कौन सी बात सच थी?

लाली––इन सब बातों को पूछकर क्या करोगी? इस भेद के खुलने से बहुत