पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१८७

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चाहिए। मुझे घड़ी-घड़ी बेचारे आनन्दसिंह याद आते हैं। तुम पर उनकी सच्ची मुहब्बत है, मगर तुम्हारा कुछ हाल न जानने से, न मालूम, उनके दिल में क्या-क्या बातें पैदा होंगी, हाँ, अगर वे जानते कि जिनको उनका दिल प्यार करता है वह फलाँ है तो बेशक वे खुश होते।

किन्नरी—(ऊँची साँस लेकर) जो ईश्वर की मर्जी! कमला-देखो, वह उस पुराने मकान की दीवार दिखाई देने लगी।

किन्नरी हाँ ठीक है, अब आ पहुँचे।

इतने ही में वे दोनों एक ऐसे टूटे-फूटे मकान के पास पहुँची जिसकी चौड़ी-चौड़ी दीवारें और बड़े-बड़े फाटक कहे देते थे कि किसी जमाने में यह इज्जत रखता होगा। चाहे इस समय यह इमारत कैसी ही खराब हालत में क्यों न हो, तो भी इसमें छोटी-छोटी कोठरियों के अलावा कई बड़े-बड़े दालान और कमरे अभी तक मौजूद हैं।

ये दोनों उस मकान के अन्दर चली गईं। बीच में चूने-मिट्टी-ईंटों का ढेर लगा हुआ था, जिसके बगल में घूमती हुई दोनों एक दालान में पहुंचीं। इस दालान में एक तरफ एक कोठरी थी जिसमें जाकर कमला ने मोमबत्ती जलाई और चारों तरफ देखने लगी। बगल में एक आलमारी दीवार के साथ जुड़ी हुई थी जिसमें पल्ला खींचने के लिए दो मुट्ठे लगे थे। कमला ने बत्ती किन्नरी के हाथ में देकर दोनों हाथों से दोनों मुट्ठों को तीन-चार दफे घुमाया, तुरन्त ही पल्ला खुल गया और भीतर एक छोटी-सी कोठरी नजर आई। दोनों उस कोठरी के अन्दर चली गईं और उन पल्लों को फिर बन्द कर लिया। उन पल्लों में भीतर की तरफ भी उसी तरह खोलने और बन्द करने के लिए मुळे लगे हुए थे।

इस कोठरी में तहखाना था जिसमें उतर जाने के लिए छोटी-छोटी सीढ़ियाँ बनी हुई थीं। वे दोनों नीचे उतर गईं और वहाँ पर एक आदमी को बैठे देखा जिसके सामने मोमबत्ती जल रही थी और वह कुछ लिख रहा था। इस आदमी की उम्र लगभग साठ वर्ष की होगी। सिर और मूंछों के बाल आधे से ज्यादा सफेद हो रहे थे, तो भी उसके बदन में किसी तरह की कमजोरी नहीं मालूम होती थी। उसके हाथ-पैर गठीले और मजबूत थे तथा चौड़ी छाती उसकी बहादुरी को जाहिर कर रही थी। चाहे उसका रंग साँवला क्यों न हो, मगर चेहरा खूबसूरत और रोबीला था। बड़ी-बड़ी आँखों में जवानी की चमक मौजूद थी, चुस्त मिर्जई उसके बदन पर बहुत भली मालूम होती थी। सिर नंगा था मगर पास ही जमीन पर एक सफेद मुँड़ासा रखा हुआ था, जिसके देखने से मालूम होता था कि गर्मी मालूम होने पर उसने उतारकर रख दिया है। उसके बायें हाथ में पंखा था, जिसके जरिये वह गर्मी दूर कर रहा था, मगर अभी तक पसीने की नमी बदन में मालूम होती थी।

एक तरफ ठीकरे में थोड़ी-सी आग थी, जिसमें कोई खुशबूदार चीज जल रही थी जिससे वह तहखाना अच्छी तरह सुगन्धित हो रहा था। कमला और किन्नरी के पैर की आहट पा वह पहले ही से सीढ़ियों की तरफ ध्यान लगाये था, और इन दोनों को देखते ही उसने कहा, "तुम दोनों आ गईं?"