पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/२२३

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हुआ, मगर उस आवाज ने साधु का ध्यान तोड़ दिया। आँखें खुलते ही नानक पर उसकी नजर पड़ी।

साधु-तू कौन है और यहाँ क्यों आया है?

नानक-मैं मुसाफिर हूँ और आफत का मारा भटकता हुआ इधर आ निकला। यहाँ आपके दर्शन हुए, दिल में बहुत-कुछ उम्मीदें पैदा हुई।

साधु-मनुष्य से किसी तरह की उम्मीद न रखनी चाहिए। खैर, यह बता, तेरा मकान कहाँ है और इस जंगल में, जहाँ आकर वापस जाना मुश्किल है, तू कैसे आया?

नानक-मैं काशी का रहने वाला हूँ। कार्यवश एक औरत के साथ, जो मेरे मकान के बगल ही में रहा करती थी, यहाँ आना हुआ। इस जंगल में उस औरत का साथ छूट गया और ऐसी विचित्र बातें देखने में आईं जिनके डर से अभी तक मेरा कलेजा काँप रहा है।

साधु-ठीक है, तेरा किस्सा बहुत बड़ा मालूम होता है जिसके सुनने की अभी मुझे फुरसत नहीं है। जरा ठहर, मैं एक काम से छुट्टी पा लूं तो तुझसे बातें करूं। घबराना नहीं, मैं ठीक एक घण्टे में आऊँगा।

इतना कहकर साधु वहाँ से चला गया। दरवाजे की आवाज और अन्दाज से नानक को मालूम हुआ कि साधु उसी कोठरी में गया जिसका दरवाजा बन्द था और जिसके अन्दर नानक नहीं जा सका था। लाचार नानक बैठा रहा मगर इस बात से कि साधु को आने में घण्टे भर की देर लगेगी, वह घबराया और सोचने लगा कि तब तक क्या करना चाहिए। यकायक उसका ध्यान उन दोनों तस्वीरों पर गया जो दीवार के साथ लगी हुई थीं! जी में आया कि इस समय यहाँ सन्नाटा है, साधु महाशय भी नहीं हैं, जरा पर्दा उठा कर देखें तो यह तस्वीर किसकी है। नहीं-नहीं, ऐसा न हो कि साधु आ जायँ, अगर देख लेंगे तो रंज होंगे, जिस तस्वीर पर पर्दा पड़ा हो, उसे बिना आज्ञा कभी न देखना चाहिए। लेकिन अगर देख ही लेंगे तो क्या होगा? साधु तो आप ही कह गए हैं कि हम घण्टे भर में आवेंगे, फिर डर किसका है?

नानक एक तस्वीर के पास गया और डरते-डरते पर्दा उठाया। उस तस्वीर पर निगाह पड़ते ही वह बड़े खौफ से चिल्ला उठा, हाथ से पर्दा गिर पड़ा, हाँफता हुआ पीछे हटा और अपनी जगह पर आकर बैठ गया। फिर यह हिम्मत न पड़ी कि दूसरी तस्वीर देखे।

वह तस्वीर दो औरतों और एक मर्द की थी। नानक उन तीनों को पहचानता था। एक औरत तो रामभोली और दूसरी वह थी जिसके घोड़े पर सवार होकर रामभोली चली गई थी और जो नानक के देखते-देखते कुएँ में कूद पड़ी थी, तीसरी तस्वीर नानक के पिता की थी। उस तस्वीर का भाव यह था कि नानक का पिता जमीन पर पड़ा हुआ था, दूसरी औरत उसके सिर के बाल पकड़े हुए थी, रामभोली उसकी छाती पर सवार गले पर छुरी फेर रही थी। इस तस्वीर को देखकर नानक की अजब हालत हो गई। वह एक दम घबरा उठा