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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/२२६

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और कहा, "जिधर हम ले चलें, चुपचाप चला चल, नहीं तो तेरे लिए अच्छा न होगा।" लाचार नानक को ऐसा ही करना पड़ा।

नानक की आँखें बन्द थीं और हर तरह से लाचार था, तो भी वह रास्ते की चलाई पर खूब ध्यान दिये हुए था। आधे घण्टे तक वह बराबर चलता गया, पत्तों की खड़खड़ाहट और जमीन की नमी से उसने जाना कि वह जंगल ही जंगल जा रहा है। इसके बाद एक ड्यौढ़ी लाँघने की नौबत आई और उसे मालूम हुआ कि वह किसी फाटक के अन्दर जाकर पत्थर पर या किसी पक्की जमीन पर चल रहा है। वहाँ से कई दफे बाईं और दाहिनी तरफ घूमना पड़ा। बहुत देर बाद फिर एक फाटक के लाँघने की नौबत आई और फिर उसने अपने को कच्ची जमीन पर चलते हुए पाया। कोस भर जाने के बाद फिर एक चौखट लाँघ कर पक्की जमीन पर चलने लगा। यहाँ पर नानक को विश्वास हो गया कि रास्ते का भुलावा देने के लिए मुझे बेफायदे घुमाया जा रहा है। ताज्जुब नहीं कि यह वही जगह हो जहाँ पहले आ चुके हैं।

थोड़ी दूर जाने के बाद नानक सीढ़ी पर चढ़ाया गया। बीस-पचीस सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद फिर नीचे उतरने की नौबत आई और सीढ़ियाँ खतम होने के बाद उसकी आँखें खोल दी गईं।

नानक ने अपने को एक विचित्र स्थान में पाया। उसकी पीठ की तरफ एक ऊँची दीवार और सीढ़ियाँ थीं, सामने की तरफ खुशनुमा बाग था जिसके चारों तरफ ऊँची दीवारें थीं और उसमें रोशनी बखूबी हो रही थी। फलों के कलमी पेड़ों में लगी शीशे की छोटी-छोटी कन्दीलों में मोमबत्तियाँ जल रही थीं और बहुत से आदमी भी घूमते-फिरते दिखाई दे रहे थे। बाग के बीचोंबीच एक आलीशान बँगला था। नानक वहाँ पहुँचाया गया और उसने आसमान की तरफ देख कर मालूम किया कि अब रात बहुत थोड़ी रह गई है।

यद्यपि नानक बहुत होशियार, चालाक, बहादुर और ढीठ था, मगर इस समय बहुत ही घबराया हुआ था। उसके ज्यादा घबराने का सबब यह था कि उसके हरबे छीन लिये गए थे और वह इस लायक न रह गया कि दुश्मनों के हमला करने पर उनका मुकाबला करे या किसी तरह अपने को बचा सके। हाँ, हाथ-पैर खुले रहने के सबब नानक इस खयाल से भी बेफिक्र न था कि अगर किसी तरह भागने का मौका मिले तो भाग जाय।

बाहर ही से मालूम हुआ कि मकान में रोशनी बखूबी हो रही है। बाहर के सहन में कई दीवारगीरें जल रही थीं और चोबदार हाथ में सोने का आसा लिये नौकरी अदा कर रहे थे। उन्हीं के पास नानक खड़ा कर दिया गया और वे आदमी, जो उसे गिरफ्तार कर के लाए थे और गिनती में आठ थे, मकान के अन्दर चले गये मगर चोबदार से यह कहते गये कि इस आदमी से होशियार रहना, हम सरकार में खबर करने जाते हैं। नानक को आधे घण्टे तक वहाँ खड़ा रहना पड़ा।

जब वे लोग, जो गिरफ्तार कर लाये थे और खबर करने के लिए अन्दर गये