पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/४७

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भीमसेन के साथियों ने बहुत खोजा मगर भीमसेन का पता न लगा, लाचार कुछ रात जाते-जाते लौट आये और उसी समय महाराज शिवदत्त के पास जाकर अर्ज किया कि आज शिकार खेलने के लिए कुमार जंगल में गये थे, एक बनले सूअर के पीछे घोड़ा फेंकते हुए न मालूम कहाँ चले गये, बहुत तलाश किया मगर पता न लगा।

अपने लड़के के गायब होने का हाल सुन महाराज शिवदत्त बहुत घबरा गये। थोड़ी देर तक तो उन लोगों पर खफा होते रहे जो भीमसेन के साथ थे। आखिर कई जासूसों को बुला कर भीमसेन का पता लगाने के लिए चारों तरफ रवाना किया और ऐयारों को भी हर तरह की ताकीद की, मगर तीन दिन बीत लाने पर भी भीमसेन का पता न लगा।

एक दिन लड़के की जुदाई से व्याकुल हो अपने कमरे में अकेले बैठे तरह-तरह की बातें सोच रहे थे कि एक खास खिदमतगार ने वहाँ पहुँच अपने पैर की धमक से उन्हें चौंका दिया। जब वे उस खिदमतगार की तरफ देखने लगे तो उसने एक लिफाफा "चोबदार ने यह लिफाफा हुजूर में देने के लिए मुझे सौंपा है। उसी चोबदार की जुबानी मालूम हुआ कि कोई ऊपरी आदमी यह लिफाफा देकर चला गया, चोबदारों ने उसे रोकना चाहा था मगर वह फुर्ती से निकल गया।"

महाराज शिवदत्त ने वह लिफाफा लेकर खोला। अपने लड़के भीमसेन के हाथ का लेख पहचाना, बहुत खुश हुए, मगर चिट्ठी पढ़ लेने से तरदुद की निशानी उनके चेहरे पर झलकने लगी। चिट्ठी का मतलब यह था-

"यह जान कर आपको बहुत रंज होगा कि मुझे एक औरत ने बहादुरी से गिरफ्तार कर लिया, मगर क्या करूँ लाचार हूँ, इसका हाल हाजिर होने पर कर्ज करूँगा। इस समय मेरी छुट्टी तभी हो सकती है जब आप वीरेन्द्रसिंह के कुल ऐयारों को, जो आपके यहाँ कैद हैं, छोड़ दें और वे खुशी-राजी से अपने घर पहुँच जाएँ। मेरा पता लगाना व्यर्थ है, मैं बहुत ही बेढब जगह कैद किया गया हूँ।

आपका आज्ञाकारी पुत्र-
भीम।"

चिट्ठी पढ़ कर महाराज शिवदत्त की अजब हालत हो गई। सोचने लगे, "क्या भीम को एक औरत ने पकड़ लिया? वह बड़ा होशियार ताकतवर और शस्त्र चलाने में निपुण था। नहीं-नहीं, उस औरत ने जरूर कोई धोखा दिया होगा! पर अब तो उन ऐयारों को छोड़ना ही पड़ेगा जो मेरी कैद में हैं! हाय, किस मुश्किल से ये ऐयार गरफ्तार हुए थे और अब क्या सहज ही में छूटे जाते हैं। खैर लाचारी है, क्या करें।"

बहुत देर तक सोच-विचार कर महाराज शिवदत्त ने बाकरअली ऐयार को बुला कर कहा, "वीरेन्द्रसिंह के ऐयारों को छोड़ दो, जब तक वे अपने घर नहीं पहुँचते, हमारा लड़का एक औरत की कैद से नहीं छूटता।"