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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/४८

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बाकरअली—(ताज्जुब से) यह क्या बात हुजूर ने कही? मेरी समझ में कुछ न आया!

शिवदत्तसिंह-भीमसेन को एक औरत ने गिरफ्तार कर लिया है। वह कहती है कि जब तक वीरेन्द्रसिंह के ऐयार न छोड़ दिए जायेंगे, तुम भी घर न जाने पाओगे।

बाकरअली—यह कैसे मालूम हुआ?

शिवदत्तसिंह—(चिट्ठी दिखा कर) यह देखो, खास भीमसेन के हाथ का लिखा हुआ है। इस चिट्ठी पर किसी तरह का शक नहीं हो सकता।

बाकरअली-(पढ़ कर) ठीक है। इतने दिनों तक कुमार का पता न लगना ही कहे देता था कि उन्हें किसी ने धोखा देकर फंसा लिया। अब यह भी मालूम हो गया कि किसी औरत ने मर्दों के कान काटे हैं।

शिवदत्तसिंह-ताज्जुब है, एक औरत ने बहादुरी से भीम को कैसे गिरफ्तार कर लिया! खैर, इसका खुलासा हाल तभी मालूम होगा जब भीम से मुलाकात होगी और जब तक वीरेन्द्रसिंह के ऐयार चुनार नहीं पहुँच जाते, भीम की सूरत देखने को तरसते रहेंगे। तुम जाके उन ऐयारों को अभी छोड़ दो, मगर यह मत कहना कि तुम लोग फलाँ वजह से छोड़े जाते हो, बल्कि यह कहना कि हमसे और वीरेन्द्रसिंह से सुलह हो गई, बस, तुम जल्द चुनार जाओ। ऐसा कहने से वे कहीं न रुक कर सीधे चुनार चले जाएँगे।

बाकरअली महाराज शिवदत्तसिंह के पास से उठा और वहाँ पहुँचा जहाँ बद्रीनाथ वगैरह ऐयार कैद थे। उसने सबको कैदखाने से बाहर किया और कहा-"अब आप लोगों से हमसे कोई दुश्मनी नहीं, आप लोग अपने घर जाइए, क्योंकि हमारे महाराज से और राजा वीरेन्द्रसिंह से सुलह हो गई।"

बद्रीनाथ-बहुत अच्छी बात है! बड़ी खुशी का मौका है। पर अगर आपका कहना ठीक है तो हमारे ऐयारी के बटुए और खंजर भी दे दीजिए।

वाकरअली–हाँ-हाँ, लीजिये, इसमें क्या उज्र है! अभी मँगाये देता हूँ बल्कि मैं खुद जाकर ले आता हूँ।

दो-तीन ऐयारों को साथ ले इन ऐयारों के बटुए वगैरह लेने के लिए वाकरअली अपने मकान की तरफ गया और इधर पंडित बद्रीनाथ तथा पन्नालाल वगैरह निराला पाकर आपस में बातें करने लगे।

पन्नालाल-क्यों यारो, यह क्या मामला है जो आज हम लोग छोड़े जाते हैं?

रामनारायण-सुलह वाली बात तो हमारी तबीयत में नहीं बैठती।

चुन्नीलाल-अजी कैसी सुलह और कहाँ का मेल! इसमें जरूर कोई दूसरा ही मामला है।

ज्योतिषी-बेशक शिवदत्त लाचार होकर हम लोगों को छोड़ रहा है।

बद्रीनाथ-क्यों साहब भैरोंसिंह, आप इस बारे में क्या सोचते हैं?

भैरोंसिंह-सोचेंगे क्या? असल जो बात है मैं समझ गया।

बद्रीनाथ-भला कहिये तो सही, क्या समझे!