पाँचवाँ––परसों जो हुक्म हुआ है सो तुमने सुना या नहीं!
मशालची––हाँ, मुझे मालूम है।
तीसरा––मैंने नहीं सुना, क्योंकि मैं नानक का पता लगाने गया था।
पाँचवाँ––परसों यह हुक्म दिया गया है कि जो कोई कामिनी को पकड़ लायेगा या पता लगा देगा उसे मुँहमाँगी चीज इनाम में दी जायगी।
तीसरा––हम लोगों की ऐसी किस्मत कहाँ कि कामिनी हाथ लगे!
दूसरा––(चौंक कर) चुप रहो, देखो, किसी की आवाज आ रही है!
किशोरी से बात करते-करते जब किसी के आने की आहट मालूम हुई तो कामिनी चुप हो गई थी। किशोरी को ताज्जुब मालूम हुआ कि यकायक कामिनी चुप क्यों हो गई? थोड़ी देर तक राह देखती रही कि शायद अब बोले, मगर जब देर हो गई तो उसने खुद पुकारा और कहा, "क्यों बहिन, चुप क्यों हो गई?" यही आवाज उन पाँचों आदमियों ने सुनी थी। उन लोगों ने बातें करना छोड़ दिया और आवाज की तरफ ध्यान लगाया। फिर आवाज आई––"बहिन कामिनी, कुछ कहो तो सही, तुम चुप क्यों हो गईं? क्या ऐसे समय में तुमने भी मुझे छोड़ दिया! बात करना भी बुरा मालूम होता है!"
किशोरी की बातें सुनकर पाँचों आदमी ताज्जुब में आ गये और उन लोगों को एक प्रकार की खुशी हुई।
एक––उसी किशोरी की आवाज है, मगर वह कामिनी को क्यों पुकार रही है? क्या कामिनी उसके पास पहुँच गई?
दूसरा––क्या पागलपन की बातें कर रहे हो? कामिनी अगर किशोरी के पास पहुँच जाती तो वह पुकारती क्यों? धीरे-धीरे आपस में बात करती या इस तरह उसे लानत देती?
तीसरा––अजी, यह तो वही है, मैं समझता हूँ कि कामिनी इस कोठरी में जरूर आई थी।
दूसरा––आई थी तो गई कहाँ?
चौथा––हम लोगों के आने के पहले ही कहीं चली गई होगी।
दूसरा––(हँस कर) क्या खूब! अजी किशोरी का यह कहना––"क्यों बहिन, चुप क्यों हो गईं!" इस बात को साबित करता है कि वह अभी-अभी इस कोठरी में मौजूद थी।
पाँचवाँ––तुम्हारा कहना ठीक है मगर यहाँ तो कामिनी की बू तक नहीं आती।
दूसरा––(चारों तरफ देख और उस कोठरी की तरफ इशारा करके) इसी में होगी।
पाँचों ही यह कहने लगे कि 'कामिनी जरूर इसी कोठरी में होगी, हम लोगों के आने की आहट पाकर छिप गई है।' आखिर सब उस कोठरी के पास गए, एक ने दरवाजे में धक्का मारा और किवाड़ बन्द पाकर कहा, "है––है, जरूर इसी में है!"
कोठरी के अन्दर छिपकर बैठी बेचारी कामिनी सब बातें सुन रही थी और