पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१२९

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लेकिन मुझे तो उसका पता मालूम ही नहीं। खैर, देखा जायगा, मैं उसका पता अवश्य लगाऊँगी।

कामिनी-मुझे एक बात का खतरा और भी है।

तारा-वह क्या?

कामिनी--वह यह है कि तालाब सूख जाने पर ताज्जुब नहीं कि यहाँ तक पहुँचने के लिए इस मकान के नीचे सुरंग खोदने और दीवार तोड़ने की कोशिश दुश्मन लोग करें।

तारा-ऐसा तो हो ही नहीं सकता, इस मकान की दीवार किसी जगह से किसी तरह टूट नहीं सकती।

इसी बीच तालाब के बाहर से विशेष कोलाहल की आवाज आने लगी, जिसे सुन तारा, किशोरी और कामिनी मकान के ऊपर चली गईं, और छिपकर दुश्मनों का हाल देखने लगीं। वे लोग इस मकान में पहुँचना कठिन जानकर शोरगुल मचा रहे थे और कई आदमी हाथ में तीरकमान लिए इस वास्ते भी तैयार दिखाई दे रहे थे कि कोई आदमी इस मकान के बाहर निकले तो उस पर तीर चलावें। किशोरी ने बड़े गौर से दुश्मनों की तरफ देखकर तारा से कहा, "बहिन तारा, इन दुश्मनों में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनको मैं बखूबी पहचानती हूँ, क्योंकि जब मैं अपने बाप के घर में थी, तो ये लोग मेरे बाप के नौकर थे।

तारा-ठीक है, मैं भी इन लोगों को पहचानती हूँ, बेशक ये लोग तुम्हारे बाप के नौकर हैं और उन्हीं को छुड़ाने के लिए यहाँ आये हैं।

किशोरी-(चौंक कर) तो क्या मेरे पिता इसी मकान में कैद हैं?

तारा-हाँ, वे भी इसी मकान में कैद हैं।

किशोरी को जब यह मालूम हुआ कि उसका बाप इस मकान में कैद है तो उस के दिल पर एक प्रकार की चोट सी बैठी। यद्यपि उसने अपने बाप की बदौलत बहुत तकलीफें उठाई थीं। बल्कि यों कहना चाहिए कि अभी तक अपने बाप की बदौलत दुःख भोग रही है और दर-दर मारी-मारी फिरती है, मगर फिर भी किशोरी का दिल पाक साफ और शीघ्र ही पसीज जाने वाला था। वह अपने बाप का हाल सुनते ही कुछ देर के लिए वे सब बातें भूल गई जिनकी बदौलत आज तक दुर्दशा की छतरी उसके सिर पर से नहीं हटी थी। इसके साथ ही पल भर के लिए उसकी आँखों के सामने वह खंडहर वाला दृश्य भी घूम गया जहाँ उसके सगे भाई ने खंजर से उसकी जान लेने के लिए वीरता प्रकट की थी। मगर रामशिला वाले साधु के पहुँच जाने से कुछ न कर सका था। वह यह भी जानती थी कि उसका भाई भीमसेन पिता की आज्ञा पाकर मेरी जान लेने के लिए आया था और अब भी अगर पिता का बस चले तो मेरी जान लेने में विलम्ब न करे, मगर फिर भी कोमल-हृदया किशोरी के दिल में बाप को देखने की


1. चन्द्रकान्ता सनति (दूसरे भाग) के आखिरी बयान में इसका हाल लिखा गया है।