भैरों तो तुम्हीं अपना परिचय क्यों नहीं देते?
श्याम- इसलिए कि ऐयार लोग भेद जानने के लिए समय पड़ने पर उसी पक्ष वाले बन जाते हैं जिससे अपना काम निकालना होता है।
भैरोंसिंह-ठीक है, मगर बहादुर राजा वीरेन्द्रसिंह के ऐयारों में से कोई भी ऐसा कमहिम्मत नहीं है जो खुले मैदान में एक औरत और एक मर्द से अपने को छिपाने का उद्योग करे।
श्याम–(खुश होकर) अहा, अब मालूम हो गया कि आप राजा वीरेन्द्रसिंह के ऐयारों में से कोई हैं। ऐसी अवस्था में मैं भी यह कहने में विलम्ब न लगाऊँगा कि मैं श्यामसुन्दरसिंह नामी कमलिनीजी का सिपाही हूँ और यह भगवानी नाम की उन्हीं की बेईमान लौंडी है जिसकी नमकहरामी और बेईमानी का यह नतीजा निकला कि दुश्मनों ने तालाब वाले तिलिस्मी मकान पर कब्जा कर लिया और किशोरी, कामिनी तथा तारा का कुछ पता नहीं लगता। अब तक जो मालूम हुआ है उससे जाना जाता है कि इसी कम्बख्त ने उन तीनों को भी किसी आफत में फंसा दिया है जिसका खुलासा भेद मैं इससे पूछ रहा था कि आपकी आवाज आई और आपसे बातचीत करने की प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।
भैरोंसिंह-(जोश के साथ) वाह, यह तो एक ऐसा भेद है जिसके जानने का सबसे पहला हकदार मैं हूँ। मैं उन्हीं तीनों से मिलने के लिए जा रहा था जब रास्ते में मुझे यह मालूम हुआ कि उस तिलिस्मी मकान को दुश्मनों ने घेर लिया है इसलिए जल्द पहुँचने की इच्छा से जंगल ही जंगल दौड़ा जा रहा था कि यहाँ तुम लोगों से भट हो गई।
श्याम–यदि ऐसा है तो अब कृपा कर आप अपनी असली सूरत शीघ्र दिखाइये जिससे मैं आपको पहचान कर अपने दिल के बचे-बचाये खुटके को निकाल डालूँ क्योंकि राजा वीरेन्द्रसिंह के कुल ऐयारों को मैं पहचानता हूँ।
श्यामसुन्दरसिंह की बात सुनकर भैरोंसिंह ने बटुए में से सामान निकाल कर बत्ती जलाई और बनावटी बालों को अलग करके अपना चेहरा साफ दिखा दिया। श्याम सुन्दरसिंह यह कहकर कि 'अहा, मैंने बखूबी पहचान लिया कि आप भैरोंसिंह जी हैं भैरोंसिंह के पैरों पर गिर पड़ा और भैरोंसिंह ने उसे उठा कर गले से लगा लिया। इसके बाद श्यामसुन्दर सिंह ने अपनी तरफ का पूरा-पूरा हाल इस समय तक का कह सुनाया।
भैरोंसिंह-अफसोस, बात ही बात में यहाँ तक नौबत जा पहुँची। लोग सच कहते हैं कि घर का एक गुलाम वैरी बाहर के बादशाह बैरी से भी जबर्दस्त होता है जिसकी ताबेदारी में हजारों दिलावर पहलवान और ऐयार लोग रहा करते हैं। खैर जो होना था सो तो हो गया, अब इस (भगवनिया की तरफ इशारा करके) कम्बख्त से किशोरी, कामिनी और तारा का सच्चा-सच्चा हाल मैं बात की बात में पूछ लेता हूँ। यह औरत है इसलिए मैं खंजर को तो म्यान में कर लेता हूँ और हाथ में उस दुष्टदमन को लेता हूँ जिसके भरोसे ऐसे जंगल में काँटों से निर्भय रहकर चलता रहा, चलता हूँ