और यदि इसकी खातिरदारी से यह बच गया तो चलूँगा! हाँ एक बात तो मैंने कही ही नहीं।
श्याम-वह क्या?
भैरोंसिंह-वह यह कि मैं यहाँ अकेला नहीं हूँ बल्कि दो ऐयारों को साथ लिए हुए कमलिनी रानी भी इसी जंगल में मौजूद हैं।
श्याम–आहा, यह तो आपने भारी खुशखबरी सुनाई, बताइये वे कहाँ हैं, मैं उनसे मिलना चाहता हूँ।
कम्बख्त भगवनिया अब अपनी मौत अपनी आँखों के सामने देख रही थी। भैरों सिंह के पहुँचने से उसकी आधी जान तो जा ही चुकी थी, अब यह खबर सुन के कि कमलिनी भी यहाँ मौजूद है वह एकदम मुर्दा सी हो गई। उसे निश्चय हो गया कि अब उसकी जान किसी तरह नहीं बच सकती। भैरोंसिंह ने जोर से जफील बजाई और इसके साथ ही थोड़ी दूर में सूखे पत्तों की खड़खड़ाहट के साथ ही घोड़ों की टापों की आवाज आने लगी और उस आवाज ने क्रमशः नजदीक होकर भूतनाथ तथा देवीसिंह और घोड़ों पर सवार कमलिनी रानी तथा लाड़िली की सूरत पैदा कर दी।
दुश्मन जब तालाब वाले तिलिस्मी मकान पर कब्जा कर चुके और लूटपाट से निश्चिन्त हुए तो शिवदत्त, माधवी और मनोरमा को छुड़ाने की फिक्र करने लगे। तमाम मकान छान डाला मगर उनका पता न लगा, तब थोड़े सिपाही जो अपने को होशियार और बुद्धिमान लगाते थे एक जगह जमा होकर सोच-विचार करने लगे। वे लोग इस बात का तो गुमान भी नहीं कर सकते थे कि हमारे मालिक लोग यहां कैद नहीं हैं या भगवनिया ने हमलोगों को धोखा दिया क्योंकि भगवनिया द्वारा वे लोग शिवदत्त, माधवी और मनोरमा के हाथ की लिखी चिट्ठी देख चुके थे। अब अगर तरद्दुद था तो यही कि कैदी लोग कहाँ हैं और भगवनिया हम लोगों से बिना कुछ कहे चुपचाप भाग क्यों गई। केवल इतना ही नहीं किशोरी, कामिनी और तारा यकायक कहाँ गायब हो गई जिनके इस मकान में होने का हम लोगों को पूरा विश्वास था बल्कि दौड़-धूप करते जिन्हें अपनी आँखों से देख चुके हैं।
जब तमाम मकान ढूंढ़ डाला और अपने मालिकों को तथा किशोरी, कामिनी या तारा को न पाया तो उन लोगों को निश्चय हो गया कि इस मकान में कोई तहखाना अवश्य है जहां हमारे मालिक लोग कैद हैं और जहाँ अपनी जान बचाने के लिए किशोरी, कामिनी और तारा भी छिपकर बैठ गई हैं।
इस लिखावट से हमारे पाठक अवश्य इस सोच में पड़ जायेंगे कि यदि इन दुश्मनों को इस मकान में तहखाना और सुरंग होने का हाल मालूम न था, तो क्या वे लोग