किसी दूसरे गिरोह के आदमी थे जिन्होंने तहखाने के अन्दर से किशोरी और कामिनी को गिरफ्तार कर लिया था या जिन्होंने सुरंग का दूसरा मुहाना बन्द कर दिया था जिस के सबब से बेचारी किशोरी, कामिनी और तारा को सुरंग के अन्दर बेबसी के साथ पड़ी रहकर अपनी ग्रहदशा का फल भोगना पड़ा?
बेशक ऐसा ही है। जिस समय भगवानी की कृपा से माधवी, मनोरमा और शिव दत्त ने कैदखाने से छुट्टी पाई और सुरंग की राह से बाहर निकले, तो माधवी के कई आदमी वहाँ मौजूद मिले और वे लोग आज्ञानुसार माधवी के साथ वहाँ से चले गये, उनमें से किसी से भी उन लोगों की मुलाकात नहीं हुई जिन्होंने तालाब वाले मकान पर हमला किया था। ये ही लोग थे जिन्होंने तहखाने में से किशोरी और कामिनी को भी निकाल ले जाने का इरादा किया था परन्तु कृतकार्य न हुए थे और इन्हीं लोगों ने भागते भागते सुरंघ का दूसरा मुहाना ईंट-पत्थरों से बन्द कर दिया था। उन दुश्मनों में जिन्होंने इस मकान को फतह किया था तीन सिपाही ऐसे थे जो उनमें सरदार गिने जाते थे और सब काम उन्हीं की राय पर होता था, वही तीनों खोज ढूंढ़कर तहखाने का पता लगाने लगे।
बचा हुआ दिन और रात का बहुत बड़ा हिस्सा खोज ढूंढा में बीत गया और सुबह हुआ ही चाहती थी जब हाथ में लालटेन लिए हए तीनों सिपाही उस कोठरी के दरवाजे पर जा पहुँचे जिसमें से कैदखाने वाले तहखाने के अन्दर जाने का रास्ता था। ताला तोड़ा गया और वे तीनों उस कोठरी के अन्दर पहुँचे। तहखाने के अन्दर जान वाला रास्ता दिखाई पड़ा जिसका दरवाजा जमीन के साथ सटा हआ और ताला भी लगा हुआ था। उस जगह खड़े होकर तीनों सिपाही आपस में बातचीत करने लगे।
एक–बेशक इसी तहखाने में महाराज शिवदत्त कैद होंगे, बड़ी मुश्किल से इस का पता लगा।
दूसरा-मगर हम लोग जो यह सोचे हुए थे कि किशोरी, कामिनी और तारा भी इसी तहखाने में छिपकर बैठी होंगी यह बात अब दिल से जाती रही क्योंकि वे भी अगर इसी तहखाने में होती तो हम लोगों को ताला न तोड़ना पड़ता।
तीसरा-ठीक है मैं भी यहीं सोचता हूँ कि वे लोग किसी दूसरे गुप्त स्थान में छिपकर बैठी होंगी, खैर पहले अपने मालिक को तो छडाओ फिर उन तीनों को भी ढूंढ़ निकालेंगे, आखिर इस मकान के अन्दर ही तो होंगी।
दूसरा-हाँ जी, देखा जायगा, बस अब इस ताले को भी झटपट तोड़ डालो।
वह ताला भी तोड़ा गया और हाथ में लालटेन लेकर एक आदमी उसके अन्दर उतरा तथा दो उसके पीछे चले। चार-पांच सीढ़ियों से ज्यादा न उतरे होंगे कि कई आदमियों के टहलने और बातचीत करने की आहट मिली जिससे ये तीनों बड़े गौर से नीचे की तरफ देखने लगे मगर जो सिपाही सबसे आगे था उसके सिवाय और किसी को कुछ भी दिखाई न दिया। उसने तहखाने में तीन आदमियों को देखा जो इन सिपाहियों के आने की आहट पाकर और लालटेन की रोशनी देखकर ठिठके हुए ऊपर की तरफ देख रहे थे। इनमें एक मर्द और दो औरतें थीं। तीनों सिपाहियों को निश्चय हो गया