पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१६

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क्योंकि इस बाग में एक आदमी का का आना आपने बयान किया था, इसके बाद कहा था किसी औरत के रोने की आवाज आई थी, दो हो तो चुके, तीसरे आनन्दसिंह भी पीछा किये हुए इधर ही आये हैं और इस तरह इस मकान के अन्दर तीन आदमियों का होना साबित होता है। इन्हीं सब बातों से मुझे विश्वास होता है कि वे ही तीन आदमी इस मकान के अन्दर हैं।

कुमार—तुम्हारा सोचना बहुत ठीक है, मगर जहाँ तक जल्द हो सके, इस बात का निश्चय करके आनन्द को छुड़ाना चाहिए, न मालूम वह किस आफत में फंस गया है।

कमलिनी–देखिये, मैं बहुत जल्द इसका बन्दोबस्त करती हूँ।

इसके बाद कमलिनी ने कुँअर इन्द्रजीतसिंह से कहा, "इस मकान का दरवाजा खोलना तो जरा मुश्किल है, मगर चौखट के ऊपर जो बारह खूटियाँ हैं उनमें से तीन नीचे की तरफ झुक गई हैं, और बाकी नौ ऊपर की तरफ उठी हुई हैं, उनमें से किसी एक को आप उछल कर थाम लीजिए और जोर करके नीचे की तरफ झुकाइए, देखिये, क्या होता है।" कुंअर इन्द्रजीतसिंह ने वैसा ही किया। उछल कर एक खूटी को थाम लिया और झटका देकर उसे नीचे की तरफ झुकाया तथा जब वह नीचे को झुक गई तो उसे छोड़कर अलग हो गये। यकायक मकान के अन्दर से इस तरह की आवाज आने लगी, जैसे बड़े-बड़े कल पुर्जे और चरखे घूमते हों, या कई गाड़ियाँ मकान के अन्दर दौड़ रही हों। तीनों आदमी दरवाजे से हटकर खड़े हो गये और राह देखने लगे कि अब क्या होता है।

थोड़ी ही देर बाद मकान की छत पर से एक आवाज आई-"इधर देखो" जिसे सुनते ही तीनों आदमी चौंके और ऊपर की तरफ देखने लगे। एक आदमी, जो अपने चेहरे पर नकाब डाले हुए था, छत से नीचे की तरफ झाँकता हुआ दिखाई दिया। उसने कमलिनी, लाड़िली और कुँवर इन्द्रजीतसिंह को अपनी तरफ देखते देख एक लपेटा हुआ कागज नीचे गिरा दिया, जिसे झट कमलिनी ने उठा लिया और बढ़कर कुँअर इन्द्रजीतसिंह से कहा, "बस अब जिस तरह हो सके आप इस खूटी को, जिसे झुकाया है, ज्यों-की-त्यों सीधी कर दीजिए।"

इन्द्रजीतसिंह-आखिर इसका क्या सबब है? इस पुर्जे में क्या लिखा हुआ है?

कमलिनी-पहले आप उसे कीजिए, जो मैं कह चुकी हूँ। देर करने में हमारा ही हर्ज होगा।

लाचार कुँवर इन्द्रजीतसिंह ने वैसा ही किया। उछलकर नीचे की तरफ से एक झटका ऐसा दिया कि वह खूटी सीधी हो गई और इसके साथ ही मकान के अन्दर सन्नाटा छा गया, अर्थात् वह जोर-शोर की आवाज, जो खूटी झुकने के साथ ही आने लगी थी, एकदम बन्द हो गई। इसके बाद कमलिनी ने वह कागज का पुर्जा जो मकान की छत पर से गिराया गया था, कुमार के हाथ में दे दिया। कुमार ने उसे देखा, यह लिखा हुआ था--