पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१६९

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आदमी–क्यों जी, तुम हमारे बीच में बोलने वाले कौन!

नकाबपोश-कोई नहीं हम तो केवल राय देते हैं कि जिसमें तुम दोनों का बखेड़ा जल्दी निपट जाय और किसी तरह इस जगह का पिण्ड छूटे।

आदमी-(चिढ़ कर) मालूम होता है कि तुम हमसे मसखरापन कर रहे हो!

नकाबपोश-अगर ऐसा भी समझ लो तो हमारा कोई हर्ज नहीं, मगर यह तो बताओ कि तुम दूसरे की अमलदारी में क्यों हुल्लड़ मचाये हुए हो? यहाँ से जाते क्यों नहीं?

आदमी-ओहो, मालूम होता है, आप ही यहाँ के राजा हैं!

नकाबपोश-नहीं, मगर इस जमीन के ठेकेदार हैं, और इतनी हिम्मत रखते हैं कि अगर तुम लोग बारह पल के अन्दर यहाँ से न चले जाओ तो कान पकड़ कर इस जंगल से बाहर कर दें या लिबड़ी बरताना उतार कर दो लात जमावें और दक्खिन का रास्ता दिखाएँ!

नकाबपोश की इन बातों को बर्दाश्त करके चुप रहने की ताकत उस विचित्र मनुष्य में न थी, झट तलवार खींचकर सामने आ खड़ा हुआ और बोला, "बस खबरदार, जो अब एक शब्द भी मुंह से निकाला। चुपचाप उठ कर चला जा, नहीं तो अभी दो टुकड़े कर दूंगा!"

नकाबपोश भी फुर्ती के साथ सामने खड़ा हो गया और बोला, "मालूम होता है तुझे मेरी बातों का अभी तक विश्वास नहीं हुआ, इसी से ढिठाई करने के लिए सामने आ खड़ा हुआ है। मैं फिर कहता हूँ कि यहाँ से चला जा और विश्वास रख कि यद्यपि मैं तेरे ऐसे नौसिखुए लौंडों के सामने तलवार खींचना उचित नहीं समझता, तथापि केवल लात और हाथ से तुझे दुरुस्त करके रख दूंगा।"

इतना सुनते ही उस आदमी ने तलवार का एक भरपूर हाथ नकाबपोश पर जमाया, जो अपने हाथ में केवल एक डंण्डा लिए हुए उसके सामने खड़ा था, मगर इसका नतीजा वैसा न निकला जैसा कि वह समझे हुआ था, क्योंकि नकाबपोश ने फुर्ती से पैंतरा बदल कर अपने को बचा लिया और पीछे की तरफ जाकर उस आदमी की कमर पर एक लात ऐसी जमाई कि वह मुंह के बल जमीन पर गिर पड़ा।

भूतनाथ जो दुःख और शोक से कातर, हो जाने पर भी आश्चर्य के साथ इस तमाशे को देख रहा था, नकाबपोश की यह फुर्ती और चालाकी देख कर हैरान हो गया और एकदम से बोल उठा, “वाह बहादुर, क्या बात है! वास्तव में तुम्हारे सामने यह नौसिखुआ लौंडा ही है!"

इस कैफियत और भूतनाथ के आवाज कसने से वह आदमी चुटीले सांप की तरह पेंच खाकर पुनः लड़ने के लिए तैयार हो गया, क्योंकि उसने इस तरह शर्मिन्दगी उठाने की बनिस्बत जान दे देना उत्तम समझ लिया था।

पुनः लड़ाई होने लगी और अबकी दफे उस आदमी ने बड़ी फुर्ती, मुस्तैदी और


1. लिबड़ी बरताना-कपड़ा-लत्ता-सामान इत्यादि।