पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१९९

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श्यामसुन्दरसिंह चाहता था कि वह यहाँ रहे और उस घटनाओं का हाल पूरापूरा जाने जो बलभद्रसिंह और भूतनाथ से सम्बन्ध रखती हैं, क्योंकि बलभद्र सिंह को देख के भूतनाथ की जो हालत हुई थी उसे वह अपनी आँखों से देख चुका था और उस का सबब जानने के लिए बहुत ही बेचैन भी था-मगर कमलिनी की आज्ञा सुनकर उसका अथाह उत्साह टूट गया और वहाँ से चले जाने के लिए मजबूर हुआ। वह अपने दिल में समझे हुए था कि उसने भगवानी को पकड़ के बड़ा काम किया है, इसके बदले में कमलिनी उससे खुश होगी और उसकी तारीफ करके उसका दर्जा बढ़ावेगी, मगर वे बातें तो दूर ही रहीं कमलिनी ने उसे वहाँ से चले जाने के लिए कहा। इस बात का श्यामसुन्दरसिंह को बहुत रंज हुआ, मगर क्या कर सकता था। लाचार मुँह बना कर पीछे की तरफ मुड़ा, इसके साथ ही देवीसिंह भी कमलिनी का इशारा पाकर उठे और श्यामसुन्दरसिंह को तालाब के बाहर पहुँचाने को चले।

जब श्यामसुन्दरसिंह को पहुंचाने के लिए देवीसिंह तालाब के बाहर गए तो उन्होंने देखा कि भूतनाथ जिसे बेहोशी की अवस्था में तालाब के बाहर पहुँचाया गया था, अब होश में आकर तालाब के ऊपर वाली सीढ़ी पर चुपचाप बैठा हुआ है। देवीसिंह को इस पार आते हुए देख कर वह उठा और पास आकर देवीसिंह की कलाई पकड़ कर बोला, "मैं जो कुछ कहना चाहता हूँ उसे सुन लो तब यहाँ से जाना।"

देवीसिंह ने कहा, "बहुत अच्छा कहो मैं सुनने के लिए तैयार हूँ। (श्यामसुन्दर सिंह से) तुम क्यों खड़े हो गये? जाओ, जो काम तुम्हारे सुपुर्द हुआ है उसे करो।" देवीसिंह की बात सुन कर श्यामसुन्दरसिंह को और भी रंज हुआ और वह मुंह बना कर चला गया।

देवीसिंह-(भूतनाथ से) अब जो कुछ तुम्हें कहना हो कहो।

भूतनाथ-पहले आप यह बताइये कि मुझे इस बेइज्जती के साथ बंगले के बाहर क्यों निकाल दिया?

देवीसिंह- क्या तुम स्वयम् इस बात को नहीं सोच सके?

भूतनाथ-मैं क्योंकर समझ सकता था? हाँ इतना मैंने अवश्य देखा कि सभी की जो निगाह मुझ पर पड़ रही थी वह रंज और घृणा से खाली न थी, मगर कुछ सबब मालूम न हुआ।

देवीसिंह-क्या तुमने बलभद्रसिंह को नहीं देखा? क्या उस गठरी पर तुम्हारी निगाह नहीं गई जो तेजसिंह के सामने रक्खी हुई थी? और क्या तुम नहीं जानते कि उस कागज के मुट्ठ में क्या लिखा हुआ है?

भूतनाथ-तब नहीं तो अब मैं इतना समझ गया कि उस आदमी ने, जो अपने को बलभद्रसिंह बताता है, मेरी चुगली की होगी और मेरे झूठे दोष दिखला कर मुझ पर बदनामी का धब्बा लगाया होगा मगर मैं आपको होशियार कर देता हूँ कि वह वास्तव में बलभद्रसिंह नहीं है बल्कि पूरा जालिया और धूर्त है, निःसन्देह वह आप लोगों को धोखा देगा। यदि मेरी बातों का विश्वास न हो तो मैं इस बात के लिए तैयार हूँ