पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२०

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धनपत को मालूम हो गया कि ये दोनों नकाबपोश कोई साधारण आदमी नहीं हैं और इनके सामने ताकत का घमंड करना वृथा है। वह सोचने लगा--"अफसोस, अब भारी मुसीबत का सामना हुआ चाहता है।"

इतने ही में 'चोर-चोर' का गुल मचा और कई मशालों की रोशनी दिखाई दी। यह रोशनी उन सिपाहियों के साथ थी जो बाग के पहले दर्जे में रहने वाले सिपाहियों में से थे और इस समय वे सब मायारानी की आज्ञानुसार दोनों चोरों को अर्थात् इन नकाबपोशों को गिरफ्तार करने के लिए यहाँ आये थे। बात की बात में वे सब वहाँ पहुंच गये और उन्होंने देखा कि लौंडियों के घेरे में दो नकाबपोश छाती ऊँची किये खड़े हैं और उनमें से एक धनपत की कलाई पकड़े हुए है।

इसके पहले कि सिपाहियों को दोनों नकाबपोशों के साथ किसी तरह के बर्ताव की नौबत आवे, छोटे नकाबपोश ने ऊंची आवाज में ललकार कर कहा, "भाइयो, तुम लोग यह न समझो कि हम लोग भाग जायेंगे, मैं भागने के लिए नही आया हूँ, मैं तुम लोगों का दुश्मन नहीं हूँ और न तुम लोगों के दुश्मनों का साथी हूँ, बल्कि तुम्हारा सच्चा दोस्त और खैरखाह हूँ। जिस समय सूर्य भगवान के दर्शन होंगे और मैं अपने चेहरे पर से नकाब उठाऊँगा, तुम लोगों को मालूम हो जायगा कि मैं तुम्हारा पुराना साथी हूँ। इस समय मैं तुम लोगों की वह बेवकूफी जाहिर करने आया हूँ, जिसे तुम लोग खुद नहीं जानते हो। हाय, तुम्हारे प्यारे मालिक राजा गोपालसिंह के गले पर छुरी फिर जाय और तुम लोगों को खबर तक न हो? इससे भी बढ़ कर अफसोस की बात तो यह है कि राजा गोपालसिंह को मारने वाला, उनकी उम्मीदों का खून करने वाला, उनकी रिआया के दिल पर सदमा पहुँचाने वाला, उनकी इज्जत और हुर्मत को बिगाड़ने वाला, उनके धर्म और अर्थ का सत्यानाश करने वाला, दिन-रात तुम्हारे पास रहे, तुम पर हुकूमत करे, तुम्हें बेवकूफ बनावे, और तुम उसका कुछ भी न कर सको! यह मत समझो कि राजा गोपाल सिंह को मरे हुए कई वर्ष हो गये, मैं साबित कर दूंगा कि उनके खून से गीली हुई जमीन भी अभी तक सूखी नहीं है और अगर तुम मुझ से पूछने और यह जानने की इच्छा करोगे कि तुम्हारे राजा गोपालसिंह को किसने मारा या उनका कातिल कौन है तो मैं जरूर उसका भी पता दूंगा और वास्तव में मैं इसी काम के लिए यहां आया भी हूँ।"

छोटे नकाबपोश की इस बात ने सिपाहियों और पहरा देने वाली लौंडियों का दिल हिला दिया। राजा गोपालसिंह की याद ने और इस खबर ने कि-'उन्हें मरे बहुत दिन नहीं हुए और उनका कातिल इसी जगह रह कर उन पर हुकूमत करता है' उनके दिलों को बेचैन कर दिया। सभी की आँखों से आंसू की बूंदें जारी हो गई और हर तरफ से आवाज आने लगी-'कहो-कहो, जल्द कहो, नेक दिल गरीबपरवर और हमारे हितैषी राजा को मारने वाला दुष्ट कौन है और कहाँ है?" इसके जवाब में छोटे नकाबपोश ने पुनः कहा, 'यही कम्बख्त, जिसे इस समय मेरे साथी ने पकड़ रखा है, तुम्हारे राजा का कातिल तथा उसकी इज्जत और हुर्मत को बिगाड़ने वाला है। इस बात से मत डरो कि इसकी इज्जत मायारानी के दरबार में बहुत है बल्कि आजमाओ