पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/२३९

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ये सब बड़ी देर तक बैठी हुई मायारानी के जख्मों पर नमक छिड़कती रहीं और न मालूम कितनी देर तक बैठी रहतीं अगर इनके कानों में यह खुशखबरी न पहुँचती कि राजा वीरेन्द्रसिंह की सवारी इस किले में दाखिल हुआ ही चाहती है।


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अब रोहतासगढ़ किले के अन्दर राजा वीरेन्द्रसिंह की सवारी आई है जिससे यहाँ की रिआया बहुत ही प्रसन्न है। छोटे-छोटे बच्चे भी उनके आने की खुशी में मग्न हो रहे हैं। इसका सबब यही है कि राजा वीरेन्द्रसिंह जब जहाँ रहते है खैरात का दरवाजा वहाँ खुला रहता है। यों तो जहाँ इनकी अमलदारी है, बराबर खैरात हुआ ही करती है मगर जहाँ ये स्वयं मौजद रहते हैं खैरात ज्यादा हुआ करती है। खैरात का मकान और बन्दोबस्त अलग है। कोई आदमी वापस नहीं जाने पाता और जिसको जिस चीज की जरूरत होती है दी जाती है। तीन वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम उम्र वाले लड़कों को मिठाई बांटने का हकम है और तीन वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को चीनी के खिलौने बांटे जाते हैं। चीनी के खिलौने मिठाइयाँ और साथ ही इसके कपड़ों का बाँटना तभी तक जारी रहता है जब तक राजा वीरेन्द्रसिह स्वयं मौजूद रहते हैं, और अन्न तो हमेशा बँटा करता है। यही सबव है कि आज रोहतासगढ़ के छोटे-छोटे बच्चों को भी हद से ज्यादा खुशी है और वे झुण्ड-के-झुण्ड इधर-उधर घूमते दिखाई दे रहे हैं।

आज यह खबर बहुत अच्छी तरह मशहूर हो रही है कि मायारानी नामी एक औरत और 'दारोगा बाबा' नामी एक मर्द इस किले में गिरफ्तार हुए हैं, जो वीरेन्द्रसिंह के दुश्मन हैं और भूतनाथ नामी कोई ऐयार गिरफ्तार किया गया है, जिसके मुकदमे का फैसला करने के लिए राजा साहव स्वयं आये हैं। ये खबरें किसी एक ढंग पर मशहर नहीं है बल्कि तरह-तरह का पलेथन लगाकर लोग इनकी चर्चा कर रहे हैं और राजा वीरेन्द्रसिंह के दुश्मनों को जी-जान से गालियाँ दे रहे हैं।

राजा वीरेन्द्रसिंह के आने के साथ ही उनके ऐयारों ने एक-एक करके वे कूल बातें बयान कर दीं, जो आज के पहले हो चकी थीं और जिन्हें राजा वीरेन्द्रसिंह नहीं जानते थे। भूतनाथ का हाल सुनकर उन्हें बड़ा ही रंज हुआ क्योंकि कमला को वे अपनी लड़की की तरह प्यार करते थे। खैर, सब बातों को सुन-सुनाकर राजा वीरेन्द्रसिंह महल में गए और कमलिनी, लाडिली और कमला इत्यादि से इस तरह मिले जैसे बड़े लोग अपनी लड़कियों और भतीजियों से मिला करते हैं और उन सभी ने भी वैसी ही मुहब्बत और इज्जत का बरताव किया जैसा नेकचलन लडकियाँ अपने माता-पिता के साथ करती हैं।

सभी को प्यार और दिलासा देकर राजा वीरेन्द्रसिंह वाहर आये और आज का दिन तेजसिह से सलाह-विचार करने में बिताया। दूसरे दिन दोपहर के बाद शेरअलीखाँ से मुलाकात की और घण्टे भर रात जाने के बाद भूतनाथ का मुकदमा सुनने का विचार