पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/३४

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मुझे आशा थी कि यह स्वयं इस मकान से बाहर न निकल सकेगा, मगर आज इस मकान में आकर देखा तो बड़ा ही आश्चर्य हुआ। इस मकान के तीन दरवाजे यह खोल चुका था और चौथा दरवाजा खोलना ही चाहता था। न मालूम इस मकान का भेद इसे क्योंकर मालूम हुआ।

कमलिनी-इसे आपने किस रीति से गिरफ्तार किया?

गोपालसिंह-पहले इस कम्बख्त का इन्तजाम कर लूं तो इसका अनूठा किस्सा कहूँ।

कमलिनी और लाडिली के साथ धनपत को पकड़े हुए राजा गोपालसिंह उस मकान के बाहर आये और देवमन्दिर की तरफ रवाना होकर उसके पश्चिम की तरफ वाले मकान के पास पहुँचे। हम ऊपर लिख आये हैं कि देवमन्दिर के पश्चिम की तरफ वाले मकान के पास दरवाजे पर हड्डियों का एक ढेर था और उसके बीचोंबीच में लोहे की एक जंजीर गड़ी हुई थी, जिसका दूसरा सिरा उसके पास वाले कुएँ के अन्दर गया हुआ था।

धनपत को घसीटते हुए राजा गोपालसिंह उसी कुएँ पर गये और उस हरामजादे स्त्री-रूपधारी मर्द को जबर्दस्ती उसी कुएँ के अन्दर धकेल दिया। इसके साथ ही उस कुएँ के अन्दर से धनपत के चिल्लाने की आवाज आने लगी। परन्तु राजा गोपालसिंह, कमलिनी और लाड़िली ने उस पर कुछ ध्यान न दिया। तीनों आदमी देवमन्दिर में आकर बैठ गये और बातचीत करने लगे।

कमलिनी-हां, अब आप पहले यह कहिये कि भूतनाथ ने क्या किया? मैंने उसे आपके पास भेजा था। इसलिए पूछती हूँ कि उसने अपना काम ईमानदारी से किया या नहीं?

गोपालसिंह-बेशक, भूतनाथ ने अपना काम हद से ज्यादा ईमानदारी के साथ किया। वह जाहिर में मायारानी के साथ ऐसा मिला कि उसे भूतनाथ पर विश्वास हो गया और वह यह समझने लगी कि भूतनाथ इनाम की लालच से मेरा काम उद्योग के साथ करेगा।

कमलिनी–हाँ, उसने मायारानी के साथ मेल पैदा करने का हाल मुझसे कहा था। (मुस्कराकर) अजीब ढंग से उसने मायारानी को धोखा दिया। हमारी तरफ की मामूली सच्ची बातें कहकर उसने अपना काम पूरा-पूरा निकाला, मगर मैं उसके बाद का हाल पूझती हूँ, जब मैंने उसे आपके पास काशी में भेजा था, क्योंकि उसके बाद अभी तक वह मुझसे नहीं मिला।

गोपालसिंह-उसके बाद तो भतनाथ ने दो-तीन काम बडे अनठे किये, जिनका खुलासा हाल मैं तुमसे कहूँगा। लेकिन उन कामों में एक काम सबसे बढ़-चढ़ के हुआ।

कमलिनी-वह क्या?

गोपालसिंह-उसने मायारानी से कहा कि मैं गोपालसिंह को गिरफ्तार करके दारोगा वाले मकान में कैद कर देता हूँ, तुम उसे अपने हाथ से मारकर निश्चिन्त हो जाओ। यह सुनकर मायारानी बहुत ही खुश हुई और भूतनाथ ने भी वह काम बड़ी