पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
8
 


उस भेद को जानेगा तो बेशक हम चारों की जान जायगी और यही सबब उस समय उन लोगों की बदहवासी का था जब मैंने चंडूल बन कर उन तीनों के कानों में पते की बात कही थी, मगर उस समय इसके साथ-साथ ही मैंने यह भी कह दिया था कि राजा गोपालसिंह का हाल हजारों आदमी जान गए हैं और राजा वीरेन्द्रसिंह के लश्कर में भी यह बात मशहूर हो गई है।

आनन्दसिंह―ठीक है, मगर बिहारीसिंह ने मायारानी से यह हाल क्यों नहीं कहा?

कमलिनी―इसका एक खास सबब है।

इन्द्रजीतसिंह―वह क्या?

कमलिनी―बिहारी और हरनाम ने मायारानी के दो प्रेमी पात्रों का खून किया है जिसका हाल मायारानी को भी मालूम नहीं है, उसका भी इशारा मैंने उन दोनों के कानों में किया था।

इन्द्रजीतसिंह―(हँस कर) तुम्हारी बहिन बड़ी ही शैतान है! मगर देखना चाहिए तुम कैसी निकलती हो, खून का साथ देती हो या नहीं!

कमलिनी―(हाथ जोड़ कर) बस, माफ कीजिए, ऐसा कहना हम दोनों बहिनों (लाड़िली की तरफ इशारा करके) के लिए उचित नहीं! इसका एक सबब भी है।

इन्द्रजीतसिंह―वह क्या?

कमलिनी—मेरे पिता की दो शादियाँँ हुई थीं। मैं और लाड़िली एक माँ के पेट से हुईं और कम्बख्त मायारानी दूसरी माँ के पेट से, इसलिए हम दोनों का खून उसके संग नहीं मिल सकता।

इन्द्रजीतसिंह—(हँस कर) शुक्र है, खैर यह कहो कि चंडूल बनने के बाद तुमने क्या किया?

कमलिनी―चंडूल बनने के बाद मैंने नानक को बाग के बाहर कर दिया और तेजसिंह जी को राजा गोपालसिंह के पास ले जाकर दोनों की मुलाकात कराई, इसके बाद वहाँँ रहने का स्थान, राजा गोपालसिंह के छुड़ाने की तरकीब, और फिर उन्हें साथ लेकर बाग के बाहर हो जाने का रास्ता बताकर मैं तेजसिंह जी से बिदा हुई और आप लोगों को कैद से छुड़ाने का उद्योग करने लगी। इसके बाद जो कुछ हुआ आप जान ही चुके हैं। हाँ, राजा गोपालसिंह को छुड़ाने के समय तेजसिंहजी ने क्या-क्या किया सो आप इन्हीं से पूछिए।

अब पाठक समझ ही गये होंगे कि राजा गोपालसिंह को कैद से छुड़ाने वाले तेजसिंह थे और जब राजा गोपालसिंह को मारने के लिए मायारानी कैदखाने में गई थी तो तेजसिंह ही ने आवाज देकर उसे परेशान कर दिया था। दोनों कुमारों के पूछने पर तेजसिंह ने अपना पूरा-पूरा हाल बयान किया जिसे सुनकर कुमार बहुत प्रसन्न हुए।