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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/१०२

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उतना ही था, जितना लम्पट लोग काल से डरते हैं। जिस समय वह लौटकर घर आया, उसकी अनोखी स्त्री थकावट और सुस्ती के कारण चारपाई का सहारा ले चुकी थी ! उसने नानक से पूछा, "कहो क्या मामला है ? तुम कहाँ गये थे?"

नानक--(धीरे से) अपने नापाक बाप के आफत में फंसने की खबर सुनने गया था। अच्छा होता, जो मुझे उसके मौत की खबर सुनने में आती और मैं सदैव के लिए निश्चिन्त हो जाता।

स्त्री--(आश्चर्य से) अपने प्यारे ससुर के बारे में ऐसी बात तो आज तक तुम्हारी जबान से कभी सुनने में न आई थी!

नानक--क्योंकर सुनने में आती, जबकि अपने इस सच्चे भाव को मैं आज तक मंत्र की तरह छिपाए हुए था ! आज यकायक मेरे मुंह से ऐसी बात तुम्हारे सामने निकल गई, इसके बाद फिर कभी कोई शब्द ऐसा मेरे मुंह से न निकलेगा जिससे कोई समझ जाये कि मैं अपने बाप को नहीं चाहता। तुम्हें मैं अपनी जान समझता हूँ और आशा है कि इस बात की, जो यकायक मेरे मुंह से निकल गई है तुम भी जान ही की तरह हिफाजत करोगी जिसमें कोई सुनने न पावे। अगर कोई सुन लेगा तो मेरी बड़ी खराबी होगी क्योंकि मैं अपने बाप को यद्यपि मानता तो कुछ नहीं हूँ, मगर उससे डरता बहुत हूँ, क्या कि वह बड़ा ही शैतान और भयानक आदमी है। यदि वह जान जायेगा कि मैं उसके साथ खुदगर्जी का बरताव करता हूँ, तो वह मुझे जान से ही मार डालेगा।

स्त्री--नहीं-नहीं, मैं ऐसी बात कभी किसी के सामने नहीं कह सकती, जिससे तम पर मुसीबत आये। (हँसकर) हाँ, अगर तुम मुझे कभी रंज करोगे, तो जरूर प्रकट कर दूंगी।

नानक--उस समय मैं भी लोगों से कह दूंगा कि मेरी स्त्री व्यभिचारिणी हो गई है, मुझ पर तूफान जोड़ती है। भला दुनिया में कोई भी ऐसा आदमी है, जो अपने बाप को न चाहता हो ? यदि ऐसा होता तो क्या मैं चुपचाप बैठा रह जाता ! मगर नहीं, मैं अपने बाप को छुड़ाने के लिए इसी वक्त जाऊँगा और इस उद्योग में अपनी जान तक लड़ा दूंगा।

स्त्री--(मन में) ईश्वर करे, तुम किसी तरह इस शहर से बाहर तो निकलो या किसी दूसरी दुनिया में चले जाओ। (प्रकट) जब वह फँस ही चुका है तो चुपचाप बैठे रहो, समय पड़ने पर कह देना कि मुझे खबर ही नहीं थी!

नानक--नहीं, मैं ऐसा कदापि नहीं कह सकता क्योंकि गोपीकृष्ण (नकाबपोश) जिससे इस बात की मुझे खबर मिली है बड़ा दुष्ट आदमी है, समय पड़ने पर वह अवश्य कह देगा कि मैंने इस बात की इत्तिला नानक को दे दी थी!

स्त्री--अच्छा, तुम खुलासा कह जाओ कि क्या-क्या खबर सुनने में आई है?

नानक ने नकाबपोश की जबानी जो कुछ सुना था, अपनी प्यारी स्त्री से कहा। इसके बाद उसे बहुत कुछ समझा-बुझाकर सफर की पूरी तैयारी करके अपने बाप को छुड़ाने की फिक्र में वहाँ से रवाना हो गया।

भूतनाथ के संगी-साथी लोग मामूली न थे, वल्कि बड़े ही बदमाश लड़ाके शैतान