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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/१०५

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भी तुम्हारे ही कब्जे में है ? हाय, यद्यपि वह गूंगी और बहरी औरत है, मगर मैं उसे दिल से प्यार करता हूँ। यदि वह मुझे मिल जाये, तो मैं अपने को बड़ा ही भाग्यवान समझूं।

मनोरमा--हाँ, वह मेरे ही कब्जे में है और तुम्हें मिल सकती है। मैं अपनी तमाम दौलत भी तुम्हें देने को तैयार हूँ और बलभद्रसिंह तथा इन्दिरा का पता भी बता सकती हैं यदि इन सब कामों के बदले में तुम एक उपकार मेरे साथ करो!

नानक--(खुश होकर) वह क्या?

मनोरमा--तुम मेरे साथ शादी कर लो, क्योंकि मैं तम्हें जी-जान से प्यार करती हूँ और तुम पर मरती हूँ।

नानक--यद्यपि तुम्हारी उम्र मेरे बराबर है, मगर मैं तुम्हें अभी तक नई-नवेली ही समझता हूँ और तुम्हें प्यार भी करता हूँ क्योंकि तुम खूबसूरत हो, लेकिन तुम्हारे साथ शादी मैं कैसे कर सकता हूं, यह बात मेरा बाप कब मंजूर करेगा!

मनोरमा--इस बात से अगर तुम्हारा बाप रंज हो तो वह बड़ा ही बेवकूफ है। बलभद्रसिंह के मिलने से उसकी जान बचती है और इन्दिरा के मिलने से वह इन्द्रदेव का प्रेम-पात्र बनकर आनन्द के साथ अपनी जिन्दगी बितायेगा। तम्हारे अमीर होने से भी उसको फायदा ही पहुँचेगा। इसके अतिरिक्त तुम्हारी रामभोली तुम्हें मिलेगी और मैं तुम्हारी होकर जिन्दगी भर तुम्हारी सेवा करूँगी। तुम खूब जानते हो कि मायारानी के फेर में पड़े रहने के कारण अभी तक मेरी शादी नहीं हुई।

नानक--(मुस्कुरा कर) मगर दो-चार प्रेमियों से प्रेम जरूर कर चुकी हो!

मनोरमा--हाँ इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकती, मगर क्या तुम इसी से हिचकते हो ? बड़े बेवकूफ हो ! इस बात से भला कौन बचा है ? क्या तुम्हारी अनोखी स्त्री ही जो आज कल तुम्हारे सिर चढ़ी हुई है बची है ? तुम इस बारे में कसम खा सकते हो ? क्या तुम दुनिया भर के भेद जानते हो और अन्तर्यामी हो ? ये सब बातें तुम्हारे ऐसे खुशदिल आदमियों के सोचने के लायक नहीं। हां इतना मैं प्रतिज्ञापूर्वक कह सकती है कि इस काम से तुम्हरा बाप कभी नाखुश न होगा। जरा ध्यान देकर देखो तो सही कि तुम्हारे बाप ने इस जिन्दगी में कैसे-कैसे काम किए हैं। उसका मुंह नहीं कि तुम्हें कुछ कह सके, और फिर दुनिया में मेरा तुम्हारा साथ और करोड़ों रुपये की जमा क्या यह मामूली बात है ? हमसे तुमसे बढ़कर भाग्यवान कौन दिखाई दे सकता है ! हाँ इस बात की भी मैं कसम खाती हूँ कि तुम्हारी आजकल वाली स्त्री और रामभोली से सच्चा प्रेम करूंगी और चाहे ये दोनों मुझसे कितना ही लड़ें, मगर मैं उनकी खातिरदारी ही करूँगी।

मनोरमा की मीठी-मीठी और दिल लुभा लेने वाली बातों ने नानक को ऐसा वेकाबू कर दिया कि वह स्वर्ग-सुख का अनुभव करने लगा। थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद उसने कहा, "मगर इस बात का विश्वास कैसे हो कि जितनी बात तुम कह गई हो उसे अवश्य पूरा करोगी?"

इसके जवाब में मनोरमा ने हजारों कसमें खाईं और नानक के मन में अपनी