पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/१९५

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दारोगा--(गदाधरसिंह से) आप कब आये?

गदाधरसिंह--मैं गया ही कब और कहाँ था?

दारोगा--आप ने कहा न था कि मैं दो-तीन महीने के लिए कहीं जा रहा हूँ!

गदाधरसिंह--हाँ, कहा तो था, मगर एक बहुत बड़ा सबब आ पड़ने से लाचार होकर रुक जाना पड़ा।

दारोगा--क्या, वह सबब मैं भी सुन सकता हूँ।

गदाधरसिंह--हाँ-हाँ, आप ही के सुनने लायक तो वह सबब है, क्योंकि उसके कर्ता-धर्ता भी आप ही हैं।

दारोगा--तो जल्द कहिये।

गदाधरसिंह--जाते ही जाते एक आदमी ने मुझे निश्चय दिलाया कि सरयू और इन्दिरा आप ही के कब्जे में हैं अर्थात् आप ही ने उन्हें कैद करके कहीं छिपा रखा है।

दारोगा--(अपने दोनों कानों पर हाथ रख के) राम राम ! किस कम्बख्त ने मुझ पर यह कलंक लगाया? नारायण-नारायण ! मेरे दोस्त, मैं तुम्हें कई दफे कसमें खाकर कह चुका हूँ कि सरयू और इन्दिरा के विषय में कुछ भी नहीं जानता, मगर तुम्हें मेरी बातों का विश्वास ही नहीं होता।

गदाधरसिंह--न तो मेरी बातों पर आपको विश्वास करना चाहिए और न आप की कही हुई बातों को मैं ही ब्रह्मवाक्य समझ सकता हूँ। बात यह है कि इन्द्रदेव को मैं अपने सगे भाई से बढ़ के समझता हूँ, चाहे मैंने आपसे रिश्वत लेकर बुरा काम ही क्यों न किया हो, मगर अपने दोस्त इन्द्रदेव को किसी तरह का नुकसान न पहुंचने दूंगा। आप सरयू और इन्दिरा के बारे में बार-बार कसमें खाकर अपनी सफाई दिखाते हैं और मैं जब उन लोगों के बारे में तहकीकात करता हूँ, तो बार-बार यही मालूम पड़ता है कि वे दोनों आपके कब्जे में हैं, अतः आज मैं एक आखिरी बात आपसे कहने आया हूँ, अबकी बार आप खूब अच्छी तरह समझ-बूझकर जवाब दें।

दारोगा--कहो, कहो, क्या कहते हो? मैं सब तरह से तुम्हारी दिलजमई करा दूंगा

गदाधरसिंह--आज मैं इस बात का निश्चय करके आया हूँ कि इन्दिरा और सरयू का हाल आपको मालूम है, अतः साफ-साफ कहे देता हूँ कि यदि वे दोनों आपके कब्जे में हों, तो ठीक-ठीक बता दीजिए, उनको छोड़ देने पर इस काम के बदले में जो कुछ आप कहें मैं करने को तैयार हैं लेकिन यदि आप इस बात से इनकार करेंगे और पीछे साबित होगा कि आपने ही उन्हें कैद किया था, तो मैं कसम खाकर कहता हूँ कि सबसे बढ़कर बुरी मौत जो कही जाती है वही आपके लिए कायम की जायेगी।

दारोगा--जरा जबान सम्हाल कर बातें करो। मैं तो दोस्ताना ढंग पर नरमी के साथ तुमसे बातें करता हूँ और तुम तेज हुए जाते हो?

गदाधरसिंह--जी, मैं आपके दोस्ताना ढंग को अच्छी तरह समझता हूँ, अपनी कसमों का विश्वास तो उसे दिलाइए, जो आपको केवल बाबाजी समझता हो। मैं तो आपको पूरा झूठा, बेईमान और विश्वासघाती समझता हूँ और आपका कोई हाल मुझसे