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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/२१४

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छत, जमीन और चारों तरफ की दीवारों में कलई किये हुए दलदार शीशे बड़ी कारी- गरी से जड़े हुए थे। अगर एक आदमी भी उस कमरे में जाकर खड़ा हो तो अपनी हजारों सूरतें देख कर घवरा जाय। सिवाय इस बात के उस कमरे में और कुछ भी न था, और न यही मालूम होता था कि यहाँ से किसी और जगह जाने के लिए कोई रास्ता है। उस कमरे की अवस्था देखकर इन्द्रजीतसिंह हँसे और आनन्दसिंह की तरफ देख कर बोले-

इन्द्रजीतसिंह--इसमें कोई सन्देह नहीं कि इस कमरे में इन शीशों की बदौलत एक प्रकार की दिल्लगी है, मगर आश्चर्य इस बात का होता है कि तिलिस्म बनाने वालों ने यह फजूल कार्रवाई क्यों की है ! इन शीशों के लगाने से कोई फायदा या नतीजा तो मालूम नहीं होता!

आनन्दसिंह--मैं भी यही सोच रहा हूँ। मगर विश्वास नहीं होता कि तिलिस्म बनाने वालों ने इसे व्यर्थ ही बनाया होगा, कोई-न-कोई बात इसमें जरूर होगी। इस मकान में इसके सिवाय अभी तक कोई दूसरी अनूठी बात दिखाई नहीं दी, अगर यहाँ कुछ है तो केवल यही एक कमरा है। अस्तु इस कमरे को फजूल समझना इस इमारत भर को फजूल समझना होगा, मगर ऐसा हो नहीं सकता। देखिये, इसी मकान से उस लोहे वाले खंभे का संबंध है, जिसकी बदौलत हम (रुक कर) सुनिए-सुनिए, यह आवाज कैसी और कहाँ से आ रही है?

बात करते-करते आनन्दसिंह रुक गये और ताज्जुब-भरी निगाहों से अपने भाई की तरफ देखने लगे, क्योंकि उन्हें दो आदमियों के जोर-जोर से बातचीत की आवाज सुनाई देने लगी। वह आवाज यह थी--

एक--तो क्या दोनों कुमार उस कुएँ से निकल यहाँ आ जाएँगे?

दूसरा–-हाँ, जरूर आ जाएंगे। उस कुएँ में जो लोहे का खंभा गया हुआ है उसमें एक खटोली बँधी है। उस खटोली पर बैठकर एक कल घुमाते हुए दोनों आदमी यहाँ आ जाएंगे।

पहला--तब तो बड़ी मुश्किल होगी, हम लोगों को यह जगह छोड़ देनी पड़ेगी।

दूसरा--हम लोग इस जगह को क्यों छोड़ने लगे ? जिसके भरोसे पर हम लोग यहाँ बैठे हैं, क्या वह दोनों राजकुमारों से कमजोर है ? खैर उसे जाने दो, पहले तो हमी लोग उन्हें तंग करने के लिए बहुत हैं।

पहला--इसमें तो कोई शक नहीं कि हम लोग उनकी ताकत और जवामर्दी को हवा खिला सकते हैं, मगर एक काम जरूर करना चाहिए।

दूसरा--वह क्या?

पहला--इस कमरे का वह दरवाजा खोल देना चाहिए, जिसमें भयानक अजगर रहता है। जब दोनों उसे खुला देख उसके अन्दर जाएंगे तो निःसंदेह वह अजगर


1.यदि दो बड़े शीशे आमने-सामने रखकर देखिए तो शीशों में दो-चार ही नहीं बल्कि हजारों शीशे एक-दूसरे के अन्दर दिखाई देंगे।