पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/२३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
239
 

आपस में बारी-बारी से एक-दूसरे के गले मिलीं। भैरोंसिंह भी उसी जगह आ पहुंचे और कुशलक्षेम पूछकर बहुत प्रसन्न हुए। इसके बाद सब कोई मिलकर उसी बंगले में आए जिसमें किशोरी, कामिनी और कमला रहती थीं और इन्द्रदेव बीच वाले दोमंजिले मकान में चले गये जिसमें भैरोंसिंह का डेरा था।

यद्यपि वहाँ खिदमत करने के लिए लौंडियों की कमी न थी, तथापि कमला ने अपने हाथ से तरह-तरह की खाने की चीजें तैयार करके सभी को खिलाया-पिलाया और मुहब्बत-भरी हँसी-दिल्लगी की बातों से सभी का दिल बहलाया। रात के समय जब हर एक काम से निश्चिन्त होकर एक कमरे में सब बैठी तो बातचीत होने लगी।

किशोरी--(लक्ष्मीदेवी से)जमाने ने तो हम लोगों को जुदा कर दिया था मगर ईश्वर ने कृपा करके बहुत जल्द मिला दिया।

लक्ष्मीदेवी--हाँ बहिन, इसके लिए मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ। मगर मेरी समझ में अभी तक नहीं आता कि ये कृष्ण जिन्न कौन हैं जिनके हुक्म से कोई भी मुंह नहीं मोड़ता। देखो तुम भी उन्हीं की आज्ञानुसार यहां पहुंचाई गईं और हम लोग भी उन्हीं की आज्ञा से यहाँ लाए गए। जो हो मगर कोई शक नहीं कि कृष्ण जिन्न बहुत ही बुद्धिमान और दूरदर्शी हैं। यह सुनकर हम लोगों को बड़ी खुशी हुई कि कृष्ण जिन्न की चालाकियों ने तुम लोगों की जान बचा ली।

कामिनी--यह खबर तुम्हें कब मिली?

लक्ष्मीदेवी--इन्द्रदेवजी जमानिया गये थे। उसी जगह कृष्ण जिन्न की चिट्ठी पहुँची जिससे सब हाल मालूम हुआ और उसी चिट्ठी के मुताबिक हम लोग यहाँ पहुँचाये गए।

किशोरी--जमानिया गये थे ! राजा गोपालसिंह ने बुलाया होगा?

लक्ष्मीदेवी--(ऊंची साँस लेकर)वे क्यों बुलाने लगे? उन्हें क्या गर्ज पड़ी थी ? हाँ, हमारे पिता का पता लगाने गए थे, सो वहाँ जाने पर कृष्ण जिन्न की चिट्ठी ही से यह भी मालूम हुआ कि भूतनाथ उन्हें छुड़ाकर चुनारगढ़ ले गया। ईश्वर उसका खूब भला करे, भूतनाथ बात का धनी निकला।

किशोरी–-(खुश होकर)भूतनाथ ने यह बहुत बड़ा काम किया। फिर भी उसके मुकदमे में बड़ी उलझन निकलेगी।

कामिनी--इसमें क्या शक है?

किशोरी--अच्छा तो जमानिया में जाने से और भी किसी का हाल मालूम हुआ?

कमलिनी–-हाँ, दोनों कुमारों से दूर से मुलाकात और बातचीत हुई क्योंकि वे तिलिस्म तोड़ने की कार्रवाई कर रहे थे, और वहीं इन्द्रदेव ने अपनी लड़की इन्दिरा को पाया और अपनी स्त्री सरयू को भी देखा।

किशोरी–-(चौंककर और खुश होकर) यह बड़ा काम हुआ ! वे दोनों इतने दिनों तक कहाँ और कैसे मिलीं?

लक्ष्मीदेवी-–वे दोनों तिलिस्म में फंसी हुई थीं, दोनों कुमारों की बदौलत उनकी