पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१०८

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ही से तय पा चुकी थी कि बिना राजा वीरेन्द्रसिंह के आये इस बारे में किसी तरह की बातचीत भूतनाथ से न की जायगी।

आज किसी समय राजा वीरेन्द्रसिंह के आने की खबर थी, मगर वे न आये। संध्या के समय हरकारे ने आकर जीतसिंह को खबर दी कि राजा साहब कल संध्या के समय यहाँ आवेंगे, भूतनाथ और बलभद्रसिंह के आने की खबर उन्हें हो गई है।

संध्या होने के साथ ही भूतनाथ और बलभद्रसिंह के दिलों में धुकधुकी पैदा हो गई कि देखना चाहिए कि आज की रात कैसी गुजरती है। तिलिस्मी चबूतरे के अन्दर से कौन निकलता है, और क्या कहता है।

रात आधी से ज्यादा जा चुकी है, कल की तरह आज भी इस लम्बे-चौड़े मकान के अन्दर सन्नाटा छाया हुआ है। भूतनाथ और बलभद्रसिंह अपनी-अपनी चारपाई पर लेटे हुए हैं। मगर नींद किसी की आँखों में नहीं है और दोनों का ध्यान उसी तिलिस्मी चबूतरे की तरफ है। कल की तरह आज भी उस चबूतरे वाले दालान में कन्दील जल रही है जिसके सबब से वह पत्थर वाला चबूतरा साफ दिखाई दे रहा है। भूतनाथ ने देखा कि कल की तरह आज भी इस पत्थर वाले चबूतरे का दरवाजा खुला और उसके अन्दर से एक आदमी स्याह लबादा ओढ़े हुए निकला। धीरे-धीरे घूमता-फिरता वह उस कमरे के दरवाजे पर पहुँचा जिसमें भूतनाथ और बलभद्रसिंह आराम कर रहे थे। कमरे का दरवाजा खुलने के साथ ही वे दोनों उठ बैठे और उस आदमी को कमरे के अन्दर पैर रखते हुए देखा।

उस आदमी ने हाथ के इशारे से बलभद्रसिंह को बैठने के लिए कहा और भूतनाथ को अपने पास बुलाया। भूतनाथ चारपाई के नीचे उतर पड़ा और अपना तिलिस्मी खंजर, जो खूटी के साथ लटक रहा था, लेकर उस आदमी के पास गया। वह आदमी भूतनाथ को अपने साथ कमरे के बाहर वाले दालान में ले गया और वहाँ से सीढ़ी की राह नीचे उतरने के लिए कहा। भूतनाथ भी चुपचाप उसके साथ नीचे चला गया।

यहाँ भी एक कन्दील जल रही थी और चारों तरफ सन्नाटा था। उस आदमी ने अपना चेहरा खोल दिया और भूतनाथ को अपनी तरफ अच्छी तरह देखने के लिए कहा। भूतनाथ सूरत देखते ही चौंक पड़ा और बोला––"हैं, यह मैं किसकी सूरत देख रहा हूँ! क्या धोखा तो नहीं है?"

आदमी––नहीं-नहीं, कोई धोखा नहीं है, 'मेमकुलचे' कहने से शायद तुम्हारा शक जाता रहेगा।

भूतनाथ––हाँ, अब मेरा शक जाता रहा। मगर आप यहाँ कहाँ? क्या मुझे किसी तरह का विचित्र हुक्म दिया जायगा? या मुझे राजा साहब से माफी माँगने की मोहलत ही न मिलेगी?

आदमी––हाँ, तुम्हें एक विचित्र हुक्म दिया जायगा, मगर यह बताओ कि राजा साहब के बारे में तुमने क्या सुना है? वे कब तक यहाँ आवेंगे?

भूतनाथ––राजा वीरेन्द्रसिंह कल यहाँ अवश्य आ जायेंगे, आज हरकारे ने आकर यह पक्की खबर जीतसिंह को दी है।