पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/११

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इतना कहकर माधवी कुबेरसिंह के घोड़े पर सवार हो गई। कुबेरसिंह अपने ऐयार के घोड़े पर सवार हुआ तथा पैदल ऐयार को साथ लिए हुए दोनों एक तरफ को रवाना हुए।

यही सबब था कि शिवदत्त वगैरह के साथ माधवी रोहतासगढ़ के तहखाने में दाखिल नहीं हुई।


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कैद से छुटकारा मिलने के बाद बीमारी के सबब से यद्यपि भीमसेन को घर जाना पड़ा और वहाँ उसकी बीमारी बहुत जल्दी जाती रही, मगर घर में रहने का जो सुख उसको मिलना चाहिए वह न मिला क्यों एक तो माँ के मरने का रंज और गम उसे हद से ज्यादा था और अब वह घर काटने को दौड़ता था, दूसरे थोड़े ही दिन बाद बाप के मरने की खबर भी उसे पहुँची, जिससे वह बहुत ही उदास और बेचैन हो गया। इस समय उसके ऐयार लोग भी वहीं मौजूद थे जो बाहर से यह दुखदायी खबर लेकर लौट आये थे। पहले तो उसके ऐयारों ने उसे बहुत समझाया और राजा वीरेन्द्रसिंह से सुलह कर लेने में बहुत सी भलाइयाँ दिखाईं, मगर उस नालायक के दिल में एक भी न बैठी और वह राजा वीरेन्द्रसिंह से बदला लेने तथा किशोरी को जान से मार डालने की कसम खाकर घर से बाहर निकल पड़ा। बाकरअली, खुदाबक्श, अजायबसिंह और यारअली इत्यादि उसके लालची ऐयारों ने भी लाचार होकर उसका साथ दिया।

अब की दफा भीमसेन ने अपने ऐयारों के सिवाय और किसी को भी साथ न लिया, हाँ रुपये-अशर्फी या जवाहिरात की किस्म में से जहाँ तक उससे बना या जो कुछ भी उसके पास था, लेकर अपने ऐयारों को लालच भरी उम्मीदों का सब्जबाग दिखाता रवाना हुआ और थोड़ी दूर जाने के बाद ऐयारों के साथ ही उसने भी अपनी सूरत बदल ली।

"राजा वीरेन्द्रसिंह को किस तरह नीचा दिखाना चाहिए और क्या करना चाहिए?" इस विषय पर तीन दिन तक उन लोगों में बहस होती रही और अन्त में यह निश्चय किया गया कि राजा वीरेन्द्रसिंह और उनके खानदान तथा आपस वालों का मुकाबला करने के पहले उनके दुश्मनों से दोस्ती बढ़ाकर अपना बल खूब पुष्ट कर लेना चाहिए। इस इरादे पर वे लोग बहुत कुछ कायम भी रहे और माधवी, मायारानी तथा तिलिस्मी दारोगा वगैरह से मुलाकात करने की फिक्र करने लगे।

कई दिनों तक सफर करने और घूमने-फिरने के बाद एक दिन ये लोग दोपहर होते-होते एक घने जंगल में पहुँचे। चार-पाँच घण्टे आराम कर लेना इन लोगों को बहुत जरूरी मालूम हुआ क्योंकि गर्मी की चलाचली का जमाना था और धूप बहुत कड़ी और दुःखदायी थी। मुसाफिरों को तो जाने दीजिये, जंगली जानवरों और आकश में उड़ने वाली तथा बात-की-बात में दूर-दूर की खबर लाने वाली चिड़ियाओं को भी पत्तों की आड़ से