पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/११२

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वीरेन्द्रसिंह––सफर में हमको जो कुछ रंज और गम हुआ, तुमने वह सुना ही होगा?

भूतनाथ––ईश्वर न करे महाराज को कभी रंज और गम हो मगर हाँ समयानुकूल जो कुछ होना था हो ही गया।

वीरेन्द्रसिंह––(ताज्जुब से) क्या तुम्हें इस बारे में कुछ मालूम हुआ है?

भूतनाथ––जी हाँ!

वीरेन्द्रसिंह––कैसे?

भूतनाथ––इसका जवाब देना तो कठिन है, क्योंकि भूतनाथ बनिस्वत जवान और कान के अन्दाज से ज्यादा काम लेता है।

वीरेन्द्रसिंह––(मुस्कुराकर) तुम्हारी होशियारी और चालाकी में तो कोई शक नहीं है मगर अफसोस इस बात का है कि तुम्हारे रहस्य तुम्हारी ही तरह द्विविधा में डालने वाले हैं। अभी कल की बात है कि हमको तुम्हारे बारे में इस बात की खुशखबरी मिली थी कि तुम बलभद्रसिंह को किसी भारी कैद से छुड़ाकर ले आये, मगर आज कुछ और ही बात सुनाई पड़ रही है।

भूतनाथ––जी हाँ, मैं तो हर तरह से अपनी किस्मत की गुत्थी को सुलझाने का उद्योग करता हूँ मगर विधाता ने उसमें उलझनें डाल दी हैं कि मालूम पड़ता है कि अव इस शरीर को चुनारगढ़ के कैदखाने का आनन्द अवश्य भोगना ही पड़ेगा।

वीरेन्द्रसिंह––नहीं-नहीं भूतनाथ, यद्यपि बलभद्रसिंह का यकायक गायब हो जाना तरह-तरह के खुटके पैदा करता है मगर हमें तुम्हारे ऊपर किसी तरह का सन्देह नहीं हो सकता। अगर तुम्हें ऐसा करना ही होता तो इतनी आफत उठा कर उन्हें क्यों छुड़ाते और क्यों यहाँ तक लाते? अतः तुम हमारी खफगी से तो बेफिक्र रहो, मगर इस बात के जानने का उद्योग जरूर करो कि बलभद्रसिंह कहाँ गये और क्या हुए।

भूतनाथ––(सलाम करके) ईश्वर आपको सदैव प्रसन्न रक्खे! मैं आशा करता हूँ कि एक सप्ताह के अन्दर ही बलभद्रसिंह का पता लगाकर उन्हें सरकार में उपस्थित करूंगा।

वीरेन्द्रसिंह––शाबाश, अच्छा अब तुम जाकर आराम करो।

आज्ञानुसार मूतनाथ वहाँ से उठकर अपने डेरे पर चला गया और बाकी लोग भी अपने ठिकाने कर दिये गये। जब राजा वीरेन्द्रसिंह और तेजसिंह अकेले रह गए तब उन दोनों में यों बातचीत होने लगी––

वीरेन्द्रसिंह––कुछ समझ में नहीं आता कि यह रहस्य कैसा है? भूतनाथ की बातों से तो किस तरह का खुटका नहीं होता!

तेजसिंह––जहाँ तक पता लगाया गया है उससे यही जाहिर होता है कि बलभद्रसिंह इस इमारत के बाहर नहीं गए, मगर इस बात पर भी विश्वास करना कठिन हो रहा है।

वीरेन्द्रसिंह––निःसन्देह ऐसा ही है।

तेजसिंह––देखना चाहिए भूतनाथ एक सप्ताह के अन्दर क्या कर दिखाता है।