पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/११४

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साथ कोठरी के अन्दर देखने लगी।

अकस्मात् कोठरी के अन्दर से निकलते हुए नानक पर मायारानी की निगाह पड़ी। नानक को देखते ही मायारानी का पुराना क्रोध (जो नानक के बारे में था) पुनः उसके चेहरे पर दिखाई देने लगा। वह कुछ देर तक तो नानक को देखती रही और इसके बाद उसे तिलिस्मी गोली का निशाना बनाना चाहा, मगर नानक मायारानी की अवस्था देखकर हँस पड़ा और बोला, "क्या अब भी आप मुझे अपना पक्षपाती नहीं समझतीं?"

मायारानी––क्यों? तूने कौन-सा ऐसा काम किया है जिससे मैं तुझे अपना पक्षपाती समझूँ?

नानक––क्या आपको इस बात की खबर न लगी होगी कि राजा वीरेन्द्रसिंह और उनके खानदान तथा ऐयारों से मेरी गहरी दुश्मनी हो गई? मेरा बाप गिरफ्तार करके दोषी ठहराया गया है, वीरेन्द्रसिंह के ऐयारों ने उसे बहुत तंग किया और इसी के साथ-ही-साथ मेरी भी बहुत बड़ी बेइज्जती की। मेरा बाप अपने बचाव की फिक्र कर रहा है और मैं उन सभी से लदला लेने का बन्दोबस्त कर रहा हूँ। इस समय मैं इसलिए यहां आया हूँ कि आप मेरी सहायता करें और मैं आपका साथ दूं।

मायारानी––यदि तेरा कहना वास्तव में सच है तो बड़ी खुशी की बात है।

नानक––जो कुछ मैं कह रहा हूँ उसके सच होने में किसी तरह का सन्देह न कीजिए, मैं उन लोगों की बुराई में जान तक खर्च करने का संकल्प कर चुका हूँ।

मायारानी––यदि तू पहले ही मेरी बात मान चुका होता तो आज मुझे और तुझे दोनों ही को यह दिन देखना नसीब न होता। खैर, आज भी अगर तू राह पर आ जाय तो हम लोग मिल-जुलकर बहुत-कुछ कर सकते हैं

नानक––उन दिनों मुझे हरी-हरी सूझती थी और उस दरबार से बहुत-कुछ पाने की आशा थी, मगर इस बात की खबर न थी कि उनके ऐयार अपनी मण्डली के सिवाय किसी नये या दूसरे ऐयार को अपने दरबार में देखना पसन्द नहीं करते। मुझे कमलिनी ने जितनी उम्मीदें दिलाई थीं उनका एक अंश भी कभी पूरा न हुआ, उल्टे मेरा बाप दोषी ठहराया गया।

मायारानी––भूतनाथ पर जो कुछ इल्जाम लगाया गया है मुझे उसकी पूरी-पूरी खबर लग चुकी है। अब भूतनाथ बिना मेरी मदद के किसी तरह अपनी जान नहीं बचा सकता और न वह बलभद्रसिंह का ही पता लगा सकता है। सच तो यह है कि भूतनाथ ने मुझे भी बड़ा धोखा दिया।

नानक––उन दिनों जो कुछ उन्होंने किया, सो किया, क्योंकि कमलिनी की दिलाई हुई उम्मीदों ने उन्हें भी अन्धा कर दिया था, मगर अब तो उन्हें कमलिनी से भी दुश्मनी हो गयी है, और मैं भी यह सुनकर कि कमलिनी वगैरा को राजा गोपालसिंह ने इसी बाग में लाकर रक्खा है, उससे बदला लेने का खयाल करके यहाँ आया हूँ।

मायारानी––यहाँ का रास्ता तुझे किसने बताया?

नानक––यहाँ के बहुत से रास्तों का हाल कमलिनी ने ही मुझे बताया था। मैं