पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
161
 

सुरेन्द्रसिंह––(आश्चर्य और प्रसन्नता के साथ) हाँ! क्या गोपाल ने तुम्हें कुछ लिखा है?

इन्द्रदेव––जी हाँ, उन्होंने मुझे लिखा है कि "मैं शीघ्र ही उन सभी को लेकर महाराज की सेवा में उपस्थित होना चाहता हूँ, तुम भी अपने दोनों कैदी नकली बलभद्रसिंह और नागर को लेकर काशिराज से मिलते हुए चुनार जाओ और काशिराज ने हम पर कृपा करके हमारे जिन दुश्मनों को कैद कर रक्खा है अर्थात् बेगम, जमालो और नौरतन वगैरह को भी अपने साथ लेते जाओ। अतः इस समय उन्हीं के लिखे अनुसार मैं सेवा में उपस्थित हुआ हूँ!

सुरेन्द्रसिंह––(उत्कण्ठा के साथ) तो क्या तुम उन लोगों को भी अपने साथ लेते आए हो?

इन्द्रदेव––जी हाँ और उन सभी को बाहर सरकारी सिपाहियों की सुपुर्दगी में छोड़ आया हूँ। बेगम वगैरह का हाल तो काशिराज ने महाराज को लिखा होगा!

सुरेन्द्रसिंह––हाँ, काशिराज ने गोपालसिंह को यह लिखा था कि "तुम्हारे ऐयार भूतनाथ के निशान देने के मुताबिक बलभद्रसिंह के दुश्मन गिरफ्तार कर लिए गए हैं और मनोरमा का मकान भी जब्त कर लिया गया है।" गोपालसिंह ने यह समाचार मुझको लिखा था। इन्द्रदेव ठीक है तो अब उन कैदियों के लिए भी उचित प्रबन्ध कर देना चाहिए जिन्हें मैं अपने साथ लाया हूँ।

सुरेन्द्रसिंह––उसका प्रबन्ध बद्रीनाथ कर चुके होंगे क्योंकि कैदियों का इन्तजाम उन्हीं के सुपुर्द है।

बद्रीनाथ––(इन्द्रदेव से) उनके लिए आप तरद्दुद न करें क्योंकि वे लोग अपने उचित स्थान पर पहुँचा दिए गए।

पन्नालाल––(सुरेन्द्र से भूतनाथ और बलभद्रसिंह की तरफ बताकर) मगर इन दोनों महाशयों में से जिनकी खातिरदारी मेरे सुपुर्द की गई, यह बलभद्रसिंह जी कहते हैं कि मैं महाराज का अन्न न खाऊँगा बल्कि अपने आराम की कोई चीज भी यहाँ से न लूँगा क्योंकि अब यह बात मालूम हो चुकी है कि राजा गोपालसिंह महाराज के पोते हैं और...

सुरेन्द्रसिंह––ठीक है, ठीक है, वास्तव में ऐसा ही होना चाहिए। (बलभद्रसिंह से) मगर आप बहुत ही मुसीबत और कैद से छूटकर आए हैं इसलिए आपके पास रुपये पैसे की जरूर कमी होगी, फिर आप क्योंकर अपने लिए हर तरह का सामान जुटा सकेंगे?

बलभद्रसिंह––मैं भी इसी फिक्र में डूबा हुआ था मगर ईश्वर ने बड़ी कृपा की जो मेरे प्यारे मित्र इन्द्रदेव को यहाँ भेज दिया। अब मुझे किसी तरह की तकलीफ न होगी, जो कुछ जरूरत पड़ेगी मैं इनसे ले लूँगा। फिर इसके बाद मुझे यह भी आशा है कि दुष्टों का मुकदमा हो जाने पर बेगम के कब्जे से निकली हुई मेरी दौलत भी मुझे मिल जायगी।