पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२३६

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सामने मौजूद पाता हूँ।

नकाबपोश––बड़े ताज्जुब की बात है कि दरबार में हम लोगों को कैफियत देख सुनकर भी तुम हमें अपना दुश्मन समझते हो! यदि तुम्हें मेरी बातों का विश्वास न हो तो मैं तुम्हें इजाजत देता हूँ कि खुशी से मेरा सिर काटकर पूरी दिलजमई कर लो और अपना शक भी मिटा लो। तब तो तुम्हें अपने भेदों के खुलने का भय न रहेगा?

भूतनाथ––(ताज्जुब से नकाबपोश की सूरत देखकर) दलीपशाह, वास्तव में तुम बड़े ही दिलावर, शेर-मर्द, रहमदिल और नेक आदमी हो। क्या सचमुच तुम मेरे कुसूरों को माफ करते हो?

नकाबपोश––हाँ-हाँ, मैं सच कहता हूँ कि मैंने तुम्हारे कसूरों को माफ कर दिया, बल्कि दो रईसों के सामने इस बात की कसम खा चुका हूँ।

भूतनाथ––वे दोनों रईस कौन हैं?

नकाबपोश––जिनके कब्जे में इस समय हम लोग हैं और जो नित्य महाराज साहब के दरबार में जाया करते हैं।

भूतनाथ––क्या राजा साहब के दरबार में जाने वाले नकाबपोश कोई दूसरे हैं आप नहीं, या उस दिन दरबार में आप नहीं थे जिस दिन आपकी सूरत देखकर जयपाल घबराया था?

नकाबपोश––हाँ, बेशक वे नकाबपोश दूसरे हैं और समय-समय पर नकाब डालने के अतिरिक्त सूरतें भी बदलकर जाया करते हैं। उस दिन वे हमारी सूरत बनकर दरबार में गये थे।

भूतनाथ––वे दोनों कौन हैं?

नकाबपोश––यही तो एक बात है जिसे हम लोग खोल नहीं सकते, मगर तुम घबराते क्यों हो? जिस दिन उनकी असली सूरत देखोगे खुश हो जाओगे। तुम ही नहीं, ल्कि कुल दरबारियों को और महाराजा साहब को भी खुशी होगी, क्योंकि वे दोनों नकाबपोश कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं।

भूतनाथ––मेरे इस भेद को वे दोनों जानते हैं या नहीं?

नकाबपोश––फिर तुम उसी तरह की बातें पूछने लगे।

भूतनाथ––अच्छा अब न पूछूँगा, मगर अंदाज से मालूम होता है कि जब आप उनके सामने भेद छिपाने की कसम खा चुके हैं तो वे इस भेद को जानते जरूर होंगे। खैर, जब आप कहते ही हैं कि मेरा भेद छिपा रह जायगा तो मुझे घबराना न चाहिए। मगर मैं फिर भी यही कहूंगा कि आप दलीपशाह नहीं हैं।

नकाबपोश––(खिलखिलाकर हँसने के बाद)तब तो फिर मुझे कुछ और कहना पड़ेगा। वाह, तुम्हारी स्त्री बड़ी ही नेक थी, जो कुछ तुमने उसके सामने किया

भूतनाथ––(नकाबपोश के मुँह पर हाथ रखकर) बस-बस-बस, मैं कुछ भी नहीं सुनना चाहता! यह कैसी माफी है कि आप अपनी जुबान नहीं रोकते! इतने ही में पत्थरों की आड़ में से एक आदमी निकलकर बाहर आया और यह कहता हुआ भूतनाथ के सामने खड़ा हो गया, "तुम उन्हें भले ही रोक दो। मगर मैं उन